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    अगर नौकरशाहों के रिश्तेदार हैं तो संभल जाइए..

    By Edited By:
    Updated: Wed, 29 Jan 2014 10:47 AM (IST)

    यदि आप दिल्ली के किसी वरिष्ठ नौकरशाह के रिश्तेदार हैं तो जरा सतर्क रहिए, क्योंकि सूबे की अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा तैयार किए जा रहे जन लोकपाल बिल में अधिकारियों के अलावा उनके रिश्तेदारों को भी लोकपाल के दायरे में शामिल किया गया है। वहीं सियासी गलियारों में चर्चा है कि यह लोकपाल कानून रा

    [अजय पांडेय], नई दिल्ली। यदि आप दिल्ली के किसी वरिष्ठ नौकरशाह के रिश्तेदार हैं तो जरा सतर्क रहिए, क्योंकि सूबे की अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा तैयार किए जा रहे जन लोकपाल बिल में अधिकारियों के अलावा उनके रिश्तेदारों को भी लोकपाल के दायरे में शामिल किया गया है। वहीं सियासी गलियारों में चर्चा है कि यह लोकपाल कानून राजधानी में लागू हो पाए या नहीं, लेकिन इसे लेकर एक नया हंगामा होना तय है।

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    बता दें कि अपने चुनावी वादे को पूरा करने के क्रम में दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार जन लोकपाल बिल-2014 को अंतिम रूप देने में जुटी हुई है। इसके तहत न केवल मुख्यमंत्री, सरकार के मंत्रियों, विधायकों व पार्षदों को लाने का प्रस्ताव किया गया है, बल्कि दिल्ली के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) व भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) और दिल्ली एंड निकोबार आइलैंड सिविल सर्विस (दानिक्स) कैडर के अधिकारियों को भी शामिल किया गया है। दिलचस्प बात यह है कि प्रस्तावित कानून के प्रारूप में इन अधिकारियों के रिश्तेदारों को भी लोकपाल के दायरे में बताया गया है। मतलब यह है कि यदि कोई वरिष्ठ अधिकारी भ्रष्टाचार के किसी मामले में फंसता है तो उसके रिश्तेदार भी जांच की लपेट में आएंगे।

    सियासी मतभेद की भी गुंजाइश

    उच्चपदस्थ सूत्रों ने बताया कि आइएएस व आइपीएस अधिकारी केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा तय सेवा नियमों के तहत आते हैं। ऐसे में उन्हें दिल्ली के जन लोकपाल के दायरे में लाने के लिए इन नियमों में परिवर्तन की दरकार होगी और यह काम संसद में प्रस्ताव पारित कर ही किया जा सकता है। ऐसे में इस मुद्दे पर एक बार फिर से केंद्र व सूबे की सरकार के बीच सियासी मतभेद सामने आ सकते हैं।

    बिल के प्रारूप में 16 अध्याय

    सरकार द्वारा तैयार किए गए बिल के प्रारूप में 16 अध्याय हैं। इसमें व्यवस्था की गई है कि समान अपराध होने पर भी उच्चाधिकारियों को कनिष्ठ अधिकारियों की अपेक्षा ज्यादा सजा दी जाएगी। ठेके पर काम करने वाले और अन्य अस्थायी कर्मचारियों को भी इसके दायरे में रखा गया है। इसमें कहा गया है कि भ्रष्टाचार के मामलों में अधिकतम दस वर्ष तक की सजा दी जा सकती है। दुर्लभ मामलों में आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान किया गया है।

    तीन माह में देना होगा आय का ब्यौरा

    इसमें यह भी कहा गया है कि सभी सरकारी कर्मचारियों व उनके परिवार के सदस्यों को नया कानून लागू होने के तीन महीने के भीतर अपनी आय का ब्यौरा देना होगा। यदि वार्षिक लेखा-जोखा प्रति एक वर्ष पर 31 जनवरी तक नहीं दिया गया, तो संबंधित अधिकारी-कर्मचारी की तनख्वाह रोक दी जाएगी।

    बिल में अधिकारियों के अलावा रिश्तेदार भी आएंगे दायरे में

    नए कानून के प्रारूप के अनुसार, लोकपाल को सहायक पुलिस आयुक्त स्तर के अधिकारी के खिलाफ सर्च वारंट तक जारी करने का अधिकार होगा। दिल्ली लोकपाल की 11 सदस्यों की टीम होगी। इसमें एक अध्यक्ष और दस सदस्य होंगे। अध्यक्ष का चुनाव सात सदस्यीय समिति करेगी, जिसमें मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भी शामिल होंगे। अध्यक्ष का वेतन प्रतिमाह 3.25 लाख और सदस्यों का वेतन तीन लाख प्रतिमाह करने का प्रस्ताव किया गया है।

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    अभी कानून विभाग ने जन लोकपाल को लेकर अपनी राय नहीं दी है। उम्मीद है कि आगामी शुक्रवार तक दिल्ली सरकार जन लोकपाल बिल के मुद्दे पर अंतिम तौर पर निर्णय कर सकती है।

    - मनीष सिसोदिया, शिक्षा मंत्री, दिल्ली

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