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    एचएसजीपीसी विवाद: कानून वापस नहीं लेगी हुड्डा सरकार

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    Updated: Tue, 22 Jul 2014 02:05 AM (IST)

    शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी [एसजीपीसी] द्वारा हरियाणा के गुरुद्वारों की गोलक हड़पने का षड्यंत्र रचने के आरोपों के बाद हरियाणा सरकार ने अकाली दल व एसजीपीसी पर पलटवार किया है। हरियाणा के वित्त मंत्री एचएस चट्ठा ने साफ कह दिया कि हुड्डा सरकार हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कानून किसी सूरत में वापस नहीं लेगी।

    चंडीगढ़। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी [एसजीपीसी] द्वारा हरियाणा के गुरुद्वारों की गोलक हड़पने का षड्यंत्र रचने के आरोपों के बाद हरियाणा सरकार ने अकाली दल व एसजीपीसी पर पलटवार किया है। हरियाणा के वित्त मंत्री एचएस चट्ठा ने साफ कह दिया कि हुड्डा सरकार हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कानून किसी सूरत में वापस नहीं लेगी।

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    वित्त मंत्री एचएस चट्ठा के नेतृत्व वाली कमेटी की सिफारिशों के बाद ही सरकार ने हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कानून बनाया है। इसे लेकर पंजाब के अकाली नेता व शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी विरोध कर रहे हैं। एसजीपीसी अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कड़ ने तो यहां तक कह दिया कि हरियाणा सरकार ने विधानसभा में मनी बिल पास किया है, जिसके तहत गुरुद्वारों की आमदनी को राज्य सरकार अपने खजाने में जमा करेगी।

    वित्त मंत्री एचएस चट्ठा ने सोमवार को अकाली नेताओं व एसजीपीसी अध्यक्ष को भी कटघरे में खड़ा किया। चट्ठा ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी हरबंस सिंह डाचर ने करीब 15 साल पहले एचएसजीपीसी की मुहिम शुरू की थी। राज्य के सिख नेता भी यही चाहते थे, जिसके मद्देनजर चट्ठा कमेटी की सिफारिशों को मानते हुए विधानसभा में कानून बनाया गया।

    विपक्ष ने विधानसभा में इस मुद्दे पर कोई सकारात्मक सुझाव नहीं दिया। पंजाब को खुश करने के लिए केंद्र सरकार ने यह कानून वापस लेने की चिट्ठी भेज दी। चट्ठा ने कहा कि मक्कड़ को यह समझ नहीं कि मनी बिल क्या होता है। बादल भी कई बार सीएम रह चुके। वे भी बिना सोचे-समझे मक्कड़ की भाषा बोल रहे हैं। एक्ट की धारा 198 में साफ लिखा है कि गुरुद्वारों का पैसा गवर्नमेंट के खजाने में नहीं आएगा।

    चट्ठा ने माना कि अलग कानून बनने से सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा, पर सिखों की धार्मिक भावनाओं के मद्देनजर सरकार यह बोझ उठाने को तैयार है। वित्त मंत्री एचएस चट्ठा के अनुसार गुरुद्वारा प्रबंधन एक्ट 1925 में पंजाब विधानसभा में बना और पंजाब ने ही इसमें 14 बार संशोधन भी किए। पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा एचएसजीपीसी के विरोध में सड़कों पर उतरने से जुड़े सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा कि बादल अपने पुत्र सुखबीर बादल को मुख्यमंत्री बनाने का मौका ढूंढ रहे थे, जो उन्हें नहीं मिल रहा था।

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