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    अलग एचएसजीपीसी के मुद्दे पर इस्तीफा दे सकते हैं बादल

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    Updated: Sun, 20 Jul 2014 07:32 AM (IST)

    हरियाणा में अलग गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के गठन के मुद्दे पर सिख राजनीति में उबाल आ गया है। पंजाब सरकार, एसजीपीसी और हरियाणा सरकार के बीच शुरू हुए टकराव की आंच अब केंद्र तक पहुंच गई है। हरियाणा सरकार ने इस मसले पर केंद्र सरकार के विधेयक वापस लेने के निर्देशों को देश के संघीय ढांचे का अपमान बताते हु

    चंडीगढ़। हरियाणा में अलग गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के गठन के मुद्दे पर सिख राजनीति में उबाल आ गया है। पंजाब सरकार, एसजीपीसी और हरियाणा सरकार के बीच शुरू हुए टकराव की आंच अब केंद्र तक पहुंच गई है। हरियाणा सरकार ने इस मसले पर केंद्र सरकार के विधेयक वापस लेने के निर्देशों को देश के संघीय ढांचे का अपमान बताते हुए मानने से इन्कार कर दिया है।

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    इस मसले पर शनिवार को पंजाब में सत्तारूढ़ शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की कोर कमेटी की छह घंटे लंबी चली बैठक में फैसला लिया गया कि अलग एसजीपीसी बनाने के हरियाणा सरकार के निर्णय से निपटने की रणनीति तैयार करने के लिए 27 जुलाई को स्वर्ण मंदिर में पंथक सभा का अयोजन किया जाएगा।

    सूत्रों के मुताबिक, पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने बैठक में साफ कह दिया कि वह पद से इस्तीफा देकर हरियाणा में अलग एसजीपीसी के विरोध के संघर्ष की कमान संभालेंगे। कमेटी ने ऐसी स्थिति में राज्य सरकार की कमान सुखबीर बादल को सौंपने पर सहमति भी जता दी है। इस दौरान चंडीगढ़ स्थित पार्टी मुख्यालय में 22 जुलाई को शिअद कार्यकर्ताओं, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) सदस्यों और अन्य प्रतिनिधियों की बैठक बुलाने का फैसला भी किया गया।

    शिअद का कहना है, 'कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के इशारे पर हरियाणा की भूपेंद्र हुड्डा सरकार सिख धर्म, धार्मिक संस्थानों और सिख गुरुद्वारा कानून, 1925 से खिलवाड़ कर रही है। इसके खिलाफ लड़ाई की रणनीति 27 जुलाई की सभा में तय की जाएगी।' गौरतलब है कि हरियाणा विधानसभा ने शुक्रवार को हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक विधेयक, 2014 पारित कर दिया था। विधेयक के पारित होने के बाद हरियाणा के सभी गुरुद्वारों के प्रबंधन से एसजीपीसी का नियंत्रण खत्म हो जाएगा।

    शिअद की कोर कमेटी की बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि सिख धर्म और संस्थानों पर हमला कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस दौरान इस मामले पर केंद्र सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर संतोष भी जताया गया। पार्टी महासचिव हरचरन सिंह बैंस ने बताया कि बैठक में केंद्र सरकार से हरियाणा सरकार द्वारा पारित विधेयक को असंवैधानिक ठहराने की कार्रवाई पर आगे के कदम उठाने का आग्रह भी किया गया है।

    बैंस ने कहा कि मुख्यमंत्री हुड्डा खालसा पंथ से टकराव के जोखिम भरे रास्ते पर चल रहे हैं। उन्होंने हरियाणा सरकार द्वारा कंपनी कानून के तहत गुरुद्वारों को सरकारी संपत्ति घोषित करने पर आश्चर्य भी जताया। कोर कमेटी की बैठक में हरियाणा सरकार के खिलाफ राज्य में पंथक मोर्चा लगाने का फैसला भी किया गया।

    गौरतलब है कि गुरुवार को एसजीपीसी अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कड़ ने कहा था कि हरियाणा में हर ऐतिहासिक गुरुद्वारा की सुरक्षा के लिए कम से कम 150-150 निजी सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएंगे। बैठक में हरियाणा के राज्यपाल जगन्नाथ पहाड़िया द्वारा अलग गुरुद्वारा कमेटी के मुद्दे पर निभाई गई भूमिका पर भी चर्चा की गई।

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