एचएसजीपीसी के गठन पर आमने-सामने आए हरियाणा और केंद्र
हरियाणा की अलग सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) गठित करने के मुद्दे पर टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। पंजाब में विपक्षी दलों ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, तो हरियाणा सरकार ने केंद्र सरकार के विधेयक वापस लेने के निर्देश को मानने से साफ इन्कार कर दिया है। हरियाणा सरकार ने केंद्रीय गृह मं
नई दिल्ली। हरियाणा की अलग सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) गठित करने के मुद्दे पर टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। पंजाब में विपक्षी दलों ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, तो हरियाणा सरकार ने केंद्र सरकार के विधेयक वापस लेने के निर्देश को मानने से साफ इन्कार कर दिया है। हरियाणा सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से लिखे गए पत्र को संघीय ढांचे का अपमान करार दिया है। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने अकाली दल पर एचएसजीपीसी के मुद्दे पर सियासत कर माहौल बिगाड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने भी इस मुद्दे पर हरियाणा सरकार का समर्थन किया है।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर कहा है, 'मैं आग्रह करता हूं कि आप 18 जुलाई, 2014 को भेजा गया गृह मंत्रालय का पत्र वापस लें। साथ ही पंजाब सरकार को हरियाणा सरकार के अधिकार क्षेत्र और राज्य के मामलों में हस्तक्षेप न करने का निर्देश दें।' उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार ने संविधान के तहत मिली अपनी शक्तियों की पूरी पड़ताल कर ली है।
उन्होंने दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति का हवाला दिया है। संसद ने 30 दिसंबर, 1971 को संविधान के तहत अलग सिख गुरुद्वारा कानून लागू किया था, ताकि दिल्ली के गुरुद्वारों पर एसजीपीसी का नियंत्रण खत्म किया जा सके। उन्होंने पत्र में लिखा है कि हरियाणा के सिख और पंजाबियों के अधिकारों की अनदेखी करना हर हरियाणवी का अपमान है।
उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र के नांदेड़ में तख्त हुजूर साहिब और बिहार के तख्त पटना साहिब का प्रबंधन भी एसजीपीसी अमृतसर के हाथ में नहीं है। सुरजेवाला ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व उनकी पार्टी शिअद बेवजह का दबाव बना रहे हैं और मुद्दे पर सियासत कर रहे हैं।
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