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    हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को हरी झंडी

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    Updated: Sat, 12 Jul 2014 08:59 AM (IST)

    रा'य के गठन के करीब 48 साल बाद हरियाणा के सिखों को अलग गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की सौगात शुक्रवार को मिल गई। इनेलो और भाजपा के भारी विरोध के बीच विधानसभा में अलग गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी बनाने का कानून पास कर दिया गया है। इसे हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन एक्ट 2014 का नाम दिया गया है।

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    चंडीगढ़ [राज्य ब्यूरो]। राज्य के गठन के करीब 48 साल बाद हरियाणा के सिखों को अलग गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की सौगात शुक्रवार को मिल गई। इनेलो और भाजपा के भारी विरोध के बीच विधानसभा में अलग गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी बनाने का कानून पास कर दिया गया है। इसे हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन एक्ट 2014 का नाम दिया गया है।

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    प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इसके लिए विधेयक सदन में पेश किया। करीब साढ़े तीन घंटे की लंबी चर्चा, बहस, हंगामे और विपक्ष के वाक आउट के बाद इस बिल को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। बिहार, दिल्ली और हिमाचल में पहले से अलग गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियां कार्य कर रही हैं। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 6 जुलाई को कैथल में सिख महासम्मेलन के दौरान राज्य की अलग गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी बनाने का एलान किया था।

    पंजाब पुनर्गठन एक्ट 1966 की धारा 72 में राज्य की अलग गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी बनाने का प्रावधान है, लेकिन इसकी प्रक्रिया 2000 में शुरू हुई। मुख्यमंत्री हुड्डा ने अलग कमेटी के मसले पर सिखों की राय जानने के लिए वित्त मंत्री एचएस चट्ठा के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया था। करीब साढ़े तीन लाख सिखों की राय जानने के बाद चट्ठा कमेटी ने अपनी सिफारिशें राज्य सरकार को सौंपी। चट्ठा ने सदन में जानकारी दी कि 1.40 लाख हलफिया बयान अलग कमेटी के समर्थन में आए और एक भी सिख ने इसके विरोध में अपनी राय जाहिर नहीं की। संसदीय कार्य मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला ने विपक्ष के विरोध को राजनीति से प्रेरित करार देते हुए कहा कि आज का दिन हरियाणा के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। राज्य की हुड्डा सरकार ने सिखों को अपने गुरुद्वारों की सेवा करने का अधिकार दे दिया है। विधानसभा में बने इस कानून से कांग्रेस को राजनीतिक फायदा होगा। राज्य में विधानसभा चुनाव हैं और कांग्रेस इसे भुनाने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देगी। सदन में इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला, अशोक अरोड़ा और रामपाल माजरा ने इस बिल को सिखों को बांटने की साजिश करार देते हुए कहा कि इसे वापस लिया जाना चाहिए।

    भाजपा विधायक अनिल विज ने कहा कि बिल पेश करने से पहले चट्ठा कमेटी की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी जानी चाहिए थी। बिल पर चर्चा के लिए भी समय नहीं दिया गया। विधायक अंगूठे लगाकर तो इस बिल को पास नहीं करने देने वाले हैं।

    इनेलो व भाजपा विधायकों ने अलग कमेटी के बिल को सिखों को बांटने की प्रक्रिया बताते हुए अपनी पार्टी के विधायकों के साथ सदन से वाक आउट किया। इससे पहले और बाद में इनेलो विधायकों ने भी सदन से यह कहते हुए वाक आउट कर दिया कि उन्हें अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया जा रहा है। संसदीय कार्य मंत्री सुरजेवाला ने बिल के समर्थन में करीब आधे घंटे तक तर्क देने के बाद इनेलो-भाजपा और अकाली दल को एक ही थैली के चट्टे-बट्टे बताते हुए कहा कि राज्य के सिख रुपया-पैसा नहीं सेवा का अधिकार चाहते थे और वह उन्हें मिल गया है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि एचएसजीपीसी के मसले पर विपक्ष की मंशा शुरू से ही ठीक नहीं रही है। उसे सिखों की भावनाओं से जुड़े मसले पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।

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