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    'कोर्ट के आदेश का पालन कराने को हरियाणा सरकार प्रतिबद्ध'

    By manoj yadavEdited By:
    Updated: Wed, 19 Nov 2014 06:07 PM (IST)

    सतलोक आश्रम की घटना पर सरकार की तरह से सफाई पेश की गई है। हरियाणा के मुख्यमंत्री के ओएसडी जवाहर यादव ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि रामपाल के 400 समर्थक हिरासत में लिए गए हैं और अभी तक रामपाल की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। उन्‍होंने कहा

    हिसार। सतलोक आश्रम की घटना पर सरकार की तरह से सफाई पेश की गई है। हरियाणा के मुख्यमंत्री के ओएसडी जवाहर यादव ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि रामपाल के 400 समर्थक हिरासत में लिए गए हैं और अभी तक रामपाल की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा कि दोषियों को सजा दी जाएगी। हरियाणा सरकार कोर्ट के आदेश का पालन करवाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्हाेंने बताया कि आश्रम की घटना में 105 पुलिस कर्मी घायल हुए हैं, जिसमें से नौ पुलिस कर्मी आश्रम के अंदर से की गई फायरिंग से जख्मी हुए हैं। हम यह प्रयास कर रहे हैं कि इस घटना में कम से कम लोगों को परेशानी हो और यह एहतियात बरता जा रहा है कि कोई निर्दोष शिकार न बने। उधर, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने ट्वीट करके कहा है कि जब तक रामपाल की गिरफ्तारी नहीं हो जाती, तब पुलिस की कार्रवाई जारी रहेगी।

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    सतलोक आश्रम के संचालक रामपाल को गिरफ्तार करने की जो जद्दोजहद चल रही है। दरअसल, 12 जुलाई, 2006 को रोहतक के करौंथा स्थित सतलोक आश्रम के बाहर जमा भीड़ पर हुई फायरिंग में झज्जर के बाघपुर गांव निवासी युवक सोनू की मौत हो गई थी। उस मामले में रामपाल और उनके 37 समर्थकों के खिलाफ रोहतक सदर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था।

    मामले में हाई कोर्ट की एकल बेंच ने दो अप्रैल, 2008 को रामपाल को जमानत दी थी। गत 14 जुलाई को हिसार की जिला अदालत में रामपाल की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेशी के दौरान उनके समर्थकों ने जिला अदालत में बवाल किया था। इसका हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए 22 जुलाई को रामपाल को हाई कोर्ट में तलब किया था। लेकिन रामपाल पेश नहीं हुए तो हाई कोर्ट ने पांच नवंबर को उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया था।

    इसी मामले में रामपाल को गिरफ्तार करने के लिए मंगलवार को बरवाला के सतलोक आश्रम में बवाल हुआ। उल्लेखनीय है कि रामपाल केवल हाई कोर्ट में ही पेश नहीं हो रहे बल्कि ट्रायल कोर्ट में भी पिछली 42 सुनवाइयों पर वह पेश नहीं हुए हैं। उल्लेखनीय है कि 2006 में स्वामी दयानंद की लिखी एक किताब पर संत रामपाल ने विवादित टिप्पणी की। उससे आर्य समाज के लोग भड़क गए और दोनों के समर्थकों के बीच हिंसक झड़प हो गई। उस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।

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