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    एम्स के सीवीओ पद के लायक नहीं थे संजीव चतुर्वेदी: डॉ. हर्षवर्धन

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    Updated: Fri, 22 Aug 2014 09:33 AM (IST)

    एम्स में कई बड़े घोटालों का खुलासा करने वाले चीफ विजिलेंस ऑफिसर संजीव चतुर्वेदी को पद से हटाने पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने सफाई देते हुए कहा है कि वह इस पद के लायक नहीं थे, लिहाजा उन्हें पद से हटाया गया है। उनका कहना है कि इस मामले में नियुक्ति को लेकर अनियमितता पाई गई, जिसके

    नई दिल्ली। एम्स में कई बड़े घोटालों का खुलासा करने वाले चीफ विजिलेंस ऑफिसर संजीव चतुर्वेदी को पद से हटाने पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने सफाई देते हुए कहा है कि वह इस पद के लायक नहीं थे, लिहाजा उन्हें पद से हटाया गया है। उनका कहना है कि इस मामले में नियुक्ति को लेकर अनियमितता पाई गई, जिसके बाद यह कदम उठाया गया। चतुर्वेदी की जगह फिलहाल एम्स के सीवीओ का कार्यभार स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव विश्वास मेहता को सौंपा गया है।

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    दूसरी ओर आम आदमी पार्टी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन से इस पूरे मामले में इस्तीफा देने की मांग की है। पार्टी ने इस मुद्दे पर आम लोगों से चतुर्वेदी का साथ देने के लिए भी एक ऑनलाइन कैंपेन शुरू किया है। आप ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री पर आरोप लगाया है कि उन्होंने गलत तरीके से एम्स के सीवीओ को पद से हटाया है। पार्टी ने उनके इस निर्णय को बेहद शर्मनाक बताया है। पार्टी नेताओं ने बीजेपी नेतृत्व से पूछा है कि क्या इसी तरह ईमानदार अफसरों को हटाकर वह देश से भ्रष्टाचार को खत्म करेगी।

    इसके अलावा पार्टी ने भाजपा नेता जेपी नड्डा पर भी सवाल खड़े किए हैं। आप का कहना है कि उन्होंने पहले भी चतुर्वेदी की नियुक्ति पर प्रश्न खड़ा करते हुए उन्हें हटाने की मांग की थी। पार्टी ने पूछा है कि जब चतुर्वेदी का कार्यकाल जून 2016 तक तय था, तो फिर किस आधार पर उन्हें उनकी जिम्मेदारियों से हटाया गया।

    गौरतलब है कि गुरुवार को चतुर्वेदी ने अपने साथ हुई नाइंसाफी पर पीएम को भी पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने भाजपा नेता पर कई आरोप लगाते हुए अपने को पद से हटाने को गलत बताया था।

    भ्रष्टाचार उजागर करने पर संजीव को हर बार मिली सजा

    चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो। हरियाणा कैडर के आइएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को भ्रष्टाचार उजागर करने पर शाबासी की जगह हर बार सजा ही मिली है। उनकी तासीर ही कुछ ऐसी है कि प्रताड़ित होने के बावजूद भ्रष्टाचार करने वालों की पोल खोलने से पीछे नहीं हटते।

    अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीसी) रहे संजीव चतुर्वेदी का सरकारों के निशाने पर रहना कोई नई बात नहीं है। 2002 बैच के अधिकारी का हरियाणा सरकार के साथ भी लंबा टकराव रहा है। हालांकि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हस्तक्षेप के बाद प्रदेश सरकार द्वारा लगाए गए सभी आरोपों से उन्हें राहत मिल गई थी। 2011 व 2013 के दौरान चतुर्वेदी के खिलाफ दो चार्जशीट को भी राष्ट्रपति ने निरस्त कर दिया था। वर्ष 2005 में सत्ता में आई वर्तमान कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में चतुर्वेदी को 12 बार तबादलों का सामना करना पड़ा है।

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