एम्स से हटाए गए सीवीओ का पीएम को खत, भाजपा नेता पर लगाए आरोप
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भ्रष्टाचार के कई खुलासे करने वाले मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) संजीव चतुर्वेदी को हटाने पर अब विवाद गहराता जा रहा है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मोदी सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा है कि क्या ऐसे ही भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की जाएगी?
नई दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भ्रष्टाचार के कई खुलासे करने वाले मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) संजीव चतुर्वेदी को हटाने पर अब विवाद गहराता जा रहा है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मोदी सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा है कि क्या ऐसे ही भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की जाएगी?
वहीं दूसरी ओर अपने खिलाफ हुए इस व्यवहार का जिक्र करते हुए संजीव चतुर्वेदी ने पीएम को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि भाजपा नेता के कहने पर ही उन्हें हटाया गया है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने पर ही उन्हें यह सजा दी गई है।
संजीव की नियुक्ति एम्स में सीवीओ के रूप में जून, 2012 से जून, 2016 तक के लिए की गई थी। खास बात यह है कि निश्चित अवधि से दो साल पहले ही संजीव को हटाने का आदेश खुद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने दिया है। हालांकि इस आदेश में इसके पीछे कोई कारण नहीं बताया गया है।
गौरतलब है कि सीवीओ को हटाने के लिए कुछ सांसद लंबे समय से स्वास्थ्य मंत्रालय पर दबाव डाल रहे थे। सांसदों ने उनकी नियुक्ति पर सवाल खड़े करते हुए मंत्रालय को लिखित शिकायत भी दी थी। सांसदों का आरोप था कि संजीव की नियुक्ति नियम-कानूनों को ताक पर रखकर की गई है।
गौरतलब है कि चतुर्वेदी ने एम्स में भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर किया था। दरअसल संजीव पहले हरियाणा में तैनात थे और वह वहां भी अपनी ईमानदारी की वजह से नेताओं के निशाने पर रहे। इसके बाद उनकी तैनाती एम्स में की गई और यहां भी अपनी ईमानदारी की वजह से वह सुर्खियों में रहे।
संजीव की तैनाती पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि सीवीओ को निर्धारित समय से पहले नहीं हटाया जा सकता है। अगर किसी बड़े कारण के चलते सीवीओ को हटाने का प्रस्ताव लाया भी जाता है तो कैबिनेट सचिव खुद मामले में जांच करेंगे।
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