जजों की नियुक्ति का नया कानून लागू
केंद्र सरकार ने उच्च न्यायपालिकाओं में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए विवादास्पद कानून को लागू करने की सोमवार को अधिसूचना जारी कर दी। इसके साथ ही जजों की नियुक्ति की दशकों पुरानी कॉलेजियम प्रणाली समाप्त हो गई। राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) कानून के खिलाफ कई याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने उच्च न्यायपालिकाओं में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए विवादास्पद कानून को लागू करने की सोमवार को अधिसूचना जारी कर दी। इसके साथ ही जजों की नियुक्ति की दशकों पुरानी कॉलेजियम प्रणाली समाप्त हो गई। राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) कानून के खिलाफ कई याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ में होने वाली सुनवाई से दो दिन पहले यह कदम उठाया गया है।
नई संस्था को संवैधानिक दर्जा देने के लिए एनजेएसी कानून के साथ संविधान संशोधन कानून (99वां संशोधन कानून) को कानून मंत्रालय के न्यायिक विभाग ने अधिसूचित किया। उल्लेखनीय है कि एनजेएसी और संविधान संशोधन को चुनौती देने वाली सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकार्ड एसोसिएशन, बार एसोसिएशन आफ इंडिया और कुछ अधिवक्ताओं की याचिकाओं पर बुधवार को उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ में सुनवाई होनी है।
कानून मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि अधिसूचना के साथ ही तकनीकी तौर पर कॉलेजियम प्रणाली समाप्त हो गई किंतु नई संस्था बनने में समय लग सकता है। एनजेएसी में दो प्रतिष्ठित व्यक्तियों को नामित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अब प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू और लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से बात करनी होगी। एनजेएसी को अपनी पहली बैठक में अपनी कार्यप्रणाली के नियमों की पुष्टि करनी होगी जिसके बाद उसे अधिसूचित किया जाएगा। सरकार के पास मसौदा कानून तैयार है।
1993 में बनी कॉलेजियम प्रणाली के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय और 24 उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण उच्चतम न्यायालय के शीर्ष पांच न्यायाधीश की अनुशंसा से होता है। सरकार कॉलेजियम की अनुशंसा को लौटा सकती है। किंतु कालेजियम के फिर से अनुशंसा करने पर सरकार को इसे स्वीकार करना पड़ता है। पारदर्शिता की कमी को लेकर राजनेताओं और कुछ प्रतिष्ठित न्यायविदों ने कॉलेजियम प्रणाली का विरोध किया।
गत सात अप्रैल को उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने एनजेएसी कानून को लागू करने पर रोक लगाने से इंकार करते हुए मामले को वृहद पीठ के पास भेज दिया था। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हस्ताक्षर के बाद 31 दिसंबर, 2014 को एनजेएसी कानून बना।

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