ईश्वर का रूप होते हैं जज, उनके फैसलों की आलोचना नहीं होती: मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जजों से गुजारिश की कि वे अवधारणा के आधार पर फैसले लेने से बचें और संविधान व कानून के आधार पर निर्णय करें। न्यायाधीशों को ईश्वर का रूप बताते हुए उन्होंने कहा कि राजनेताओं के विपरीत उनको कभी भी आलोचना का सामना नहीं करना पड़ता। लिहाजा,
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जजों से गुजारिश की कि वे अवधारणा के आधार पर फैसले लेने से बचें और संविधान व कानून के आधार पर निर्णय करें। न्यायाधीशों को ईश्वर का रूप बताते हुए उन्होंने कहा कि राजनेताओं के विपरीत उनको कभी भी आलोचना का सामना नहीं करना पड़ता। लिहाजा, उनको स्व-मूल्यांकन के लिए आंतरिक प्रणाली तैयार करनी चाहिए।
देशभर के 24 हाईकोर्टों के मुख्य न्यायाधीशों और मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने कहा कि अवधारणा और अनुभव के आधार पर फैसले देने से बचने की जरूरत है। चूंकि अवधारणाओं के आधार पर आने वाले फैसलों के पीछे पांच सितारा आंदोलनकारियों का प्रभाव रहता है। उन्होंने कहा सशक्त न्यायपालिका का समर्थ होना भी जरूरी है, ताकि जनता की उम्मीदों को पूरा कर सके।
ट्रिब्यूनलों का बजट अदालतों को देने की पैरवी :
देश में बन चुके सौ ट्रिब्यूनलों (प्राधिकरणों) की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि हरेक मंत्रालय में चार-चार ट्रिब्यूनल बन हैं और इनसे कामकाज के निपटारे में भी देरी हो रही है। अच्छे नतीजे नहीं देने वाले ट्रिूब्यूनलों के लिए आवंटित बजट को अगर अदालतों को दे दिया जाए तो उससे उनका सशक्तिकरण होगा।
अदालत से भरोसा उठा तो सब खत्म :
प्रधानमंत्री ने कहा, 'यदि नेता या सरकार कोई गलती करे तो उसे न्यायपालिका के जरिए ठीक करने की संभावना रहती है, लेकिन यदि कोर्ट ने गलती की और जनता का उससे भरोसा उठा तो सब समाप्त हो जाएगा।'
नेताओं पर 24 घंटे नजर :
प्रधानमंत्री ने कहा, 'हम नेतागण सौभाग्यशाली हैं कि जनता व मीडिया हम पर 24 घंटे नजर रखे है, मूल्यांकन करती है और हमारे फैसलों की चीर-फाड़ कर देती है, लेकिन न्यायपालिका को यह सौभाग्य प्राप्त नहीं है। यदि आप किसी को फांसी की सजा दें तो भी वह बाहर आकर कहेगा कि वह न्यायपालिका में विश्वास करता है। जहां भी आलोचना की गुंजाइश कम है, वहां समय का तकाजा है कि स्व-मूल्यांकन की मजबूत आंतरिक व्यवस्था हो।'
गपशप कॉलम की बातें भी ब्रेकिंग न्यूज :
मोदी ने कहा कि सरकार व नेताओं की छानबीन के लिए चुनाव आयोग, आरटीआई व लोकपाल जैसी संस्थाएं हैं, जो कार्यपालिका के कामकाज पर नजर रखती हैं। पहले की तुलना में नेताओं पर निगरानी और बढ़ गई है। पहले जिन बातों को अखबारों के गपशप के कॉलम में भी नहीं छापा जाता था, वह आज ब्रेकिंग न्यूज बनकर सामने आती हैं।
रोज एक कानून खत्म करेंगे :
उन्होंने कहा कि 1700 बेकार कानूनों की पहचान कर ली गई है, इन्हें खत्म किया जाएगा। मैं अपने कार्यकाल में रोज एक बेकार कानून खत्म करने की मंशा रखता हूं।
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