Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पीएम के भोज से जस्टिस कुरियन ने किया किनारा

    By anand rajEdited By:
    Updated: Sat, 04 Apr 2015 07:14 PM (IST)

    देश भर के हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन के समय को लेकर उपजे विवाद की आंच प्रधानमंत्री तक पहुंच गई है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश कुरियन जोसेफ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शनिवार की रात आयोजित भोज में भाग लेने से इंकार कर दिया है। उनका कहना है

    नई दिल्ली। देश भर के हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन के समय को लेकर उपजे विवाद की आंच प्रधानमंत्री तक पहुंच गई है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश कुरियन जोसेफ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शनिवार की रात आयोजित भोज में भाग लेने से इंकार कर दिया है। उनका कहना है कि यह आयोजन और न्यायाधीशों का सम्मेलन गुड फ्राइडे और ईस्टर के समय ही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    न्यायमूर्ति जोसेफ पहले ही भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) एचएल दत्तू से तीन दिनों तक चलने वाले न्यायाधीशों के सम्मेलन को ईसाइयों के पवित्र सप्ताहांत के समय रखने को लेकर आपत्ति दर्ज करा चुके हैं। उन्होंने इस बारे में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर विस्तार से अपना पक्ष रखा है और ऐसे पवित्र दिनों में ऐसी बैठक रखने पर सवाल भी उठाया है।

    एक अप्रैल को लिखे पत्र में उन्होंने प्रधानमंत्री को अपने आवास पर रात्रिभोज के लिए आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद दिया है। उन्होंने लिखा है, मैं इसमें शामिल न हो पाने की असमर्थता के लिए खेद प्रकट करता हूं क्योंकि सम्मेलन और गुड फ्राइडे समारोह एक ही समय में हो रहे हैं। हमलोगों के लिए गुड फ्राइडे एक बहुत बड़े धार्मिक महत्व का दिन है। इसी दिन ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था। इस तरह हमलोगों के लिए यह परंपरा के अनुरूप है कि हम इस पवित्र सप्ताह में अपने माता-पिता, बड़ों और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ इस धार्मिक और अन्य समारोहों का हिस्सा बनें। अत: मैं उन दिनों में केरल में रहूंगा।

    न्यायमूर्ति जोसेफ ने आगे लिखा है कि वह अपनी कुछ चिताओं का इजहार करना चाहेंगे, जिन्हें वह मानते हैं कि प्रधानमंत्री को विचार करने की जरूरत है। धर्म पर ध्यान दिए बगैर दीवाली, होली, दशहरा, ईद, बकरीद, क्रिसमस, ईस्टर आदि त्योहार के बहुत बड़े दिन हैं। आपको खुद इस बात को महसूस करना चाहिए कि इन पवित्र त्योहारों के दिन कोई महत्वपूर्ण कार्यक्रम नहीं हो। इन दिनों में अवकाश भी रहता है।

    न्यायमूर्ति जोसेफ ने ऐतिहासिक घटना का हवाला भी दिया है। उन्होंने कहा है कि यहूदी व पारसी जब विदेश में सताए जा रहे थे तब भारत आए और तब उन्हें तत्कालीन हिंदू शासकों से उन्हें आदर और दोस्ताना व्यवहार मिला। पूरी दुनिया हमारे महान राष्ट्र की धर्म निरपेक्ष छवि, सांप्रदायिक सद्भाव और सांस्कृतिक एकता को ईर्ष्या से देखती है। भारत को हर हाल में ऐसे समय में अपने उसी परिचय की रक्षा करनी है और एक ऐसा मॉडल बनना है जिसका अनुकरण अन्य देश भी करें।

    न्यायमूर्ति जोसेफ ने पत्र में यह भी लिखा है, 'मैं जानता हूं कि इस कार्यक्रम को बदलने के लिए अब बहुत देर हो चुकी है लेकिन भारतीय धर्मनिपेक्षता के अभिभावक होने के नाते मैं आपसे निवेदन करता हूं कि जब भी इस तरह के कार्यक्रम तय करें तो इसका ध्यान रखें और सभी धर्मो के पवित्र दिनों को बराबर महत्व दें।'

    ये भी पढ़ेंः परमाणु मिसाइल से होगी दिल्ली की सुरक्षा, अगला नंबर मुंबई का

    ये भी पढ़ेंः एनआर नारायण मूर्ति को 'आप' से जोड़ना चाहते हैं केजरीवाल!