सरकार ने राजनयिकों से कहा, पाकिस्तान के स्कूलों में पढ़ने ना भेजें अपने बच्चे
केन्द्र सरकार ने पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग के राजनयिकों से कहा कि वे अपने स्कूल जा रहे बच्चों को इस्लामाबाद से वापस भेजें।
नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में खाई दिनों दिन बढ़ती जा रही है। कश्मीर मुद्दे पर दोनो देशों के बीच चल रहे रहे वाक युद्ध के बीच भारत ने एक एहतियातन फैसला करते हुए इस्लामाबाद स्थित अपने उच्चायोग के अधिकारियों के बच्चों को वहां के स्कूलों में नहीं पढ़ाने का फैसला किया है। इसके लिए भारत ने पाकिस्तान को एक तरह से 'नो स्कूल गोइंग मिशन' वाले देशों की सूची में डाल दिया है।
वैसे भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यह फैसला पिछले वर्ष ही किया गया था और इसके पीछे बच्चों की सुरक्षा ही असली वजह है।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया कि भारत ने जून, 2015 में ही अपने तमाम राजदूतों और उच्चायोगों की सुरक्षा समीक्षा करते हुए यह फैसला किया था और इस बारे में पाकिस्तान को भी बता दिया गया था।
ये भी पढ़ें- कश्मीरी नौजवानों को बंदूक उठाने को उकसा रहा है पाक- महबूबा
उच्चायोग के अधिकारियों को भी कहा गया था कि वे अपने बच्चों की शिक्षा की वैकल्पिक व्यवस्था करे। इस शैक्षणिक सत्र से इस्लामाबाद स्थिति सभी कर्मचारियों के बच्चे पाकिस्तान के किसी स्कूल में शिक्षा हासिल नहीं करेंगे। इन बच्चों को पाकिस्तान के बाहर किसी दूसरे देश में शिक्षा की व्यवस्था करनी होगी।सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों के 60 बच्चे अभी हैं। इनमें से 50 वहां अमेरिकन स्कूल में शिक्षा हासिल कर रहे हैं।Indian Govt asks staff members of Indian High Commission in Islamabad to send their school-going children back to India.
— ANI (@ANI_news) July 25, 2016
इस स्कूल में ही अधिकांश बड़े देशों के राजदूतावासों व उच्चायोगों के अधिकारियों के बच्चे शिक्षा हासिल करते हैं। कुछ बच्चे रूट्स इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ाई करते हैं। भारत से पहले भी कई देशों ने इस्लामाबाद में अपने मिशन से बच्चों को हटाने या परिवार नहीं रखने का फैसला किया हुआ है। पेशावर स्थित सैनिक स्कूल पर आतंकी हमले के बाद से कई देशों ने ऐसा फैसला किया है। भारत ने भी असलियत में पेशावर हमले के बाद ही वहां के स्कूलों की सुरक्षा की समीक्षा की थी। उसके बाद ही यह फैसला किया गया था।
ये भी पढ़ें-पाकिस्तान में सूफी संत की कब्र के बगल में दफन हुआ हिंदू ब्राह्मण
हालांकि यह भी सच है कि इसे पिछले वर्ष के शैक्षणिक सत्र के दौरान लागू नहीं किया गया बल्कि इस वर्ष लागू किया जा रहा है।सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने पूर्व में भारतीय विदेश मंत्रालय से ऐसा फैसला नहीं करने का अनुरोध किया था। लेकिन वहां के स्कूलों में कोई खतरा नहीं होने के बावजूद विद्यार्थियों को हमेशा सुरक्षा बलों के साये में रहना पड़ता है।
स्कूल से बाहर पिकनिक या शैक्षणिक यात्रा के लिए भी उन्हें इजाजत नहीं दी जाती है। इस तरह से बच्चे पूरी तरह से चारदीवारी में जीवन व्यतीत कर रहे हैं जो उनके विकास के लिए सही नहीं है। बहरहाल, अब यह देखना होगा कि भारत के इस कदम पर पाकिस्तान सरकार की तरफ से क्या कदम उठाया जाता है।