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    बजट 2015: जेटली बोले, स्किल इंडिया और मेक इन इंडिया में तालमेल की जरूरत

    By Tilak RajEdited By:
    Updated: Sat, 28 Feb 2015 03:07 PM (IST)

    साल 2015-16 के लिए वित्‍त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश किए गए बजट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्‍वाकांक्षी योजना 'मेक इन इंडिया' पर भी जोर दिया गया है। लोकसभा में बजट पेश करते हुए जेटली ने कहा कि अगर देश में रोजगार बढ़ाने हैं, तो स्किल इंडिया और मैक

    नई दिल्ली। साल 2015-16 के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश किए गए बजट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना 'मेक इन इंडिया' पर भी जोर दिया गया है। लोकसभा में बजट पेश करते हुए जेटली ने कहा कि अगर देश में रोजगार बढ़ाने हैं, तो स्किल इंडिया और मैक इन इंडिया में तालमेल की जरूरत है।

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    अरुण जेटली ने कहा कि बेरोजगारी की समस्या दूर करने के लिए भारत में नए उद्योगों को बढावा देना जरूरी है। यह लक्ष्य हम 'मैक इन इंडिया' योजना को बढ़ावा देकर हासिल कर सकते हैं। इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में निजी निवेश बढ़ाने देने की भी जरूरत है। इससे युवाओं को रोजगार मिलेगा। लेकिन पहले 54 प्रतिशत युवा आबादी के लिए दक्षता बढ़ाने की जरूरत है। हम युवाओं के स्किल डेवलेपमेंट पर भी जोर दे रहे हैं। हम राष्ट्रीय स्किल मिशन योजना शुरू करने जा रहे हैं।

    उन्होंने कहा, 'दरअसल, हमें स्किल इंडिया और मैक इन इंडिया में तालमेल करने की जरूरत है। इसलिए दीलदलया उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के लिए फंड की शुरुआत की गई है। कॉर्पोरेट टैक्स में पांच प्रतिशत की छूट दी गई है। 30 प्रतिशत से कम करके 25 प्रतिशत कर दिया गया है, ताकि उद्योगों को बढ़ावा मिले।'

    केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर में होने वाले निवेश से रोजगार में बढ़ोत्तरी होगी। साथ ही इससे एग्रीकल्चर और ग्रामीण विकास को गति मिलेगी।

    रोजगारों के अवसर बढ़ाने हेतु घरेलू विनिर्माण एवं ‘मैक इन इंडिया’ को प्रोत्साहन देने के लिए जेटली ने सीमा शुल्क एवं उत्पाद शुल्क में अनेक रियायतों की घोषणा की। कुछ खास कच्चे माल जैसे धातु पुर्जे, इन्सुलेटेड वायर एवं केबल, रेफ्रिजरेटर कम्प्रेशर के कलपुर्जों, वीडियो कैमरा के कंपाउंड्स इत्यादि पर सीमा शुल्क घटा दिया गया है। इसी तरह लेथ मशीनों में इस्तेमाल होने वाले कुछ खास कच्चे माल पर देय बुनियादी सीमा शुल्क को 7.5 फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी और एलसीडी/एलईडी टीवी पैनलों पर बुनियादी सीमा शुल्क को 10 फीसदी से घटाकर शून्य किया जा रहा है। पेसमेकर के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले विशेष कच्चे माल पर सीवीडी और एसएडी से पूरी तरह छूट दी जा रही है। इससे उद्योगों का बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

    सेनवैट क्रेडिट के जमा होने की समस्या से निपटने के लिए लोहे एवं इस्पात, तांबा और अल्यूमिनियम के मेटल स्क्रैप पर एसएडी को 4 फीसदी से घटाकर 2 फीसदी कर दिया गया है। मेटलर्जिकल कोक पर बुनियादी सीमा शुल्क बढ़ा दिया गया है। वाणिज्यिक वाहनों पर शुल्क दर 10 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया गया है।

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