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पांच कारण, जिससे आजम को नहीं छोड़ना चाहते मुलायम

हमेशा ही विवादों में रहने वाले सपा सरकार के दूसरे सबसे ताकतवर मंत्री आजम खान सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के खास माने जाते हैं। दोनों के बीच प्रगाढ़ संबंध हैं और वे एक-दूसरे को बड़े और छोटे भाई की तरह सम्मान देते हैं। मुलायम ने तो एक बार सार्वजनिक तौर पर यह भी कहा था कि शिवपाल और रामगोपाल की तरह आजम उनके तीसर

By Edited By: Published: Fri, 13 Sep 2013 11:36 AM (IST)Updated: Fri, 13 Sep 2013 01:16 PM (IST)

लखनऊ। हमेशा ही विवादों में रहने वाले सपा सरकार के दूसरे सबसे ताकतवर मंत्री आजम खान सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के खास माने जाते हैं। दोनों के बीच प्रगाढ़ संबंध हैं और वे एक-दूसरे को बड़े और छोटे भाई की तरह सम्मान देते हैं।

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मुलायम ने तो एक बार सार्वजनिक तौर पर यह भी कहा था कि शिवपाल और रामगोपाल की तरह आजम उनके तीसरे भाई हैं। इसलिए तमाम तरह के विवादों और पार्टी में नाराजगी के बावजूद मुलायम उन्हें छोड़ना नहीं चाहते हैं। आइए जानते हैं ऐसी पांच खास बातें जिसके कारण मुलायम आजम खान को अपने से अलग नहीं करना चाहते हैं।

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पुराना साथ :-

1977 में जनता पार्टी से पहली बार रामपुर से लोकसभा से चुनाव लडऩे और हारने के बाद आजम खान 1985 में मुलायम सिंह से जुड़े। उसके बाद से वह लगातार उनके साथ रहे हैं। बीच में अमर सिंह से विवाद के कारण कुछ समय के लिए उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। विषम परिस्थितियों में मुलायम के पीछे चट्टान की तरह खड़े रहने वाले आजम खान ने एक विश्वस्त सहयोगी के तौर पर अपनी पहचान बनाई। उत्तर प्रदेश अकेले दम पर सपा सरकार बनाने में उन्होंने बहुत अहम भूमिका निभाई है।

मुस्लिम वोटों पर पकड़ :-

आजम खान को उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का मुस्लिम चेहरा के तौर पर देखा जाता है। मुसलमानों को सपा से जोडऩे में उनकी अहम भूमिका रही है। इसलिए मुलायम उन्हें विशेष तरजीह देते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान सपा से आजम के अलग होने का ही नतीजा था कि उनके प्रभाव वाले इलाके में कांग्रेस को जबरदस्त फायदा हुआ उसके छह सांसद जीते। मुलायम की आजम पर कृपा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछली विधानसभा में पार्टी के सभी नेताओं पर उन्होंने आजम को तरजीह दी और विधानसभा में विपक्ष का नेता बनाया। आजम भी इस महत्व को अच्छी तरह समझते हैं इसलिए गाहे-बगाहे वह मुस्लिमों की समस्या को लेकर अपनी नाराजगी दिखाने से नहीं चूकते हैं। नगर विकास मंत्री के रूप में उनकी हनक से सारे नौकरशाह डरते हैं।

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पार्टी के प्रमुख रणनीतिकार :-

आजम खान एक बेहद पढ़े-लिखे और समझदार नेता माने जाते हैं। उन्होंने अलीगढ़ विश्वविद्यालय से एलएलएम की पढ़ाई की है और राजनीति के तमाम दांव-पेंच को अच्छी तरह जानते हैं। इसलिए पार्टी के रणनीति बनाने में उनकी अहम भूमिका होती है। वह यदि कोई सुझाव देते हैं तो मुलायम उससे इन्कार नहीं कर पाते हैं।

पश्चिमी यूपी में धाक :-

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आजम खान को एक कद्दावर मुस्लिम नेता माना जाता है। रामपुर, बरेली, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, मेरठ, शाहजहांपुर, बिजनौर, पीलीभीत, बदायूं, रुहेलखंड और तराई में मुस्लिमों के बीच उनकी काफी धाक है। उन्हीं की वजह से इस पूरे इलाके में समाजवादी पार्टी को विधानसभा में अच्छी सफलता मिली।

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हमलावर तेवर :-

साथी हों या विरोधी आजम खान बिना नाम लिए किसी पर भी हमला करने से नहीं चूकते। रामपुर से सपा सांसद जयाप्रदा, अमर सिंह, कल्याण सिंह जैसे नेता आजम के हमले का शिकार हो चुके हैं।

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