मच्छल फर्जी मुठभेड़ कांड में पांच फौजियों को उम्रकैद
सैन्य अदालत ने बृहस्पतिवार को कश्मीर के बहुचर्चित मच्छल फर्जी मुठभेड़ कांड में लिप्त एक कर्नल और एक कैप्टन समेत पांच सैन्यकर्मियों को दोषी करार देते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। दोषी सैन्यकर्मियों से सभी प्रकार के सेवा लाभ भी वापस ले लिए गए हैं। जबकि टेरिटोरियल आर्मी
श्रीनगर, जागरण ब्यूरो। सैन्य अदालत ने बृहस्पतिवार को कश्मीर के बहुचर्चित मच्छल फर्जी मुठभेड़ कांड में लिप्त एक कर्नल और एक कैप्टन समेत पांच सैन्यकर्मियों को दोषी करार देते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। दोषी सैन्यकर्मियों से सभी प्रकार के सेवा लाभ भी वापस ले लिए गए हैं। जबकि टेरिटोरियल आर्मी के राइफलमैन को इस मामले में दोषमुक्त करार दिया गया है। दो आरोपी नागरिकों के खिलाफ स्थानीय अदालत में ही मामला चलता रहेगा। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सैन्य अदालत के फैसले पर संतोष जताया है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आए इस फैसले का असर चुनाव नतीजे पर भी पड़ सकता है।
मामला 30 अप्रैल, 2010 का है। सेना की राजपूत रेजीमेंट के जवानों ने उत्तरी कश्मीर के मच्छल सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर घुसपैठ का प्रयास नाकाम बनाते हुए तीन विदेशी आतंकियों को मार गिराने का दावा किया था। बाद में पता चला कि मारे गए तीनों युवक आतंकी नहीं बल्कि बारामुला के रफियाबाद इलाके से लापता हुए शहजाद अहमद, मुहम्मद शफी लोन और रियाज अहमद थे। इन युवकों की पहचान छिपाने के लिए उनके चेहरे पर काला पेंट लगाया गया था। उनके शवों के साथ हथियार भी रखे गए थे।
फर्जी मुठभेड़ का पता चलते ही पूरे कश्मीर में तनाव पैदा हो गया था। वर्ष 2010 में वादी में हुए ङ्क्षहसक प्रदर्शनों में इस घटना ने आग में घी का काम किया। पुलिस ने इस मामले में दो नागरिकों और टेरिटोरियल आर्मी की बटालियन के एक जवान के अलावा सात सैन्यकर्मियों के खिलाफ हत्या, अपहरण व आपराधिक साजिश के मामले दर्ज किए थे। पुलिस ने इस मामले में सभी दस लोगों को आरोपी बनाकर सीजेएम सोपोर की अदालत में जून, 2010 में आरोप पत्र दाखिल किया था। बाद में अदालत ने सेना के आग्रह को स्वीकार करते हुए दिसंबर, 2013 में आरोपी सैन्यकर्मियों के खिलाफ जनरल कोर्ट मार्शल में मामला चलाने की अनुमति दे दी। कोर्ट मार्शल में सुनवाई 23 दिसंबर, 2013 को शुरू हुई, जो सिंतबर, 2014 में पूरी हुई।
कोर्ट मार्शल में कुपवाड़ा स्थित सेना की 68 माउंटेन बिग्रेड के ब्रिगेडियर दीपक मेहरा पीठासीन अधिकारी थे। कोर्ट मार्शल में हुई सुनवाई में चार राजपूत रेजीमेंट के तत्कालीन कमान अधिकारी कर्नल डीके पठानिया, कैप्टन उपेंद्र सिंह, हवलदार देवेंद्र, लांसनायक लख्मी और लांसनायक अरुण कुमार को दोषी पाया गया। कोर्ट ने टेरीटोरियल आर्मी के अब्बास हुसैन समेत बाकी के सेना से जुड़े आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट के फैसले पर उच्च अधिकारियों की सहमति मिलनी बाकी है।
सैन्य कर्मियों को फांसी देने की मांग
श्रीनगर, जागरण ब्यूरो। मच्छल फर्जी मुठभेड़ में मारे गए युवकों के परिजनों ने सैन्य अदालत के फैसले पर संतोष तो जताया लेकिन सजा को अपर्याप्त बताते हुए दोषी सैन्यकर्मियों व उनका साथ देने वाले तीन अन्य आरोपियों फांसी की मांग की है।
विभिन्न राजनीतिक दलों ने फैसले का स्वागत किया है। लेकिन पीडि़त परिवारों ने सजा को नाकाफी बताया है। मारे गए युवकों में शामिल रियाज के भाई फिरदौस अहमद ने कहा कि इंसाफ तो मिला है, लेकिन पूरा नहीं। उन्होंने साजिश के तहत, इनाम के लालच में मेरे भाई और उसके दोस्तों का कत्ल किया है। दिवंगत रियाज की मां नसीमा बानो ने कहा कि मेरा बेटा गुलाब के फूल जैसा था। उन्होंने हमारे बच्चों को सरहद पर ले जाकर धोखे से मारा। वे मासूम थे, आतंकी नहीं। जिन्होंने उन्हें मारा, उन्हें सूली पर चढ़ाना चाहिए। उन्हें मौत मिलनी चाहिए।
क्या था मामला
सेना के साथ काम करने वाले दो नागरिकों बशीर अहमद लोन और अब्दुल हमीद बट ने टेरिटोरियल आर्मी के जवान अब्बास व चार राजपूत रेजीमेंट के तत्कालीन कमान अधिकारी के साथ मिलकर एक साजिश रची। इसके लिए बशीर, अब्दुल और अब्बास ने रफियाबाद के नादिहाल इलाके के रहने वाले तीन बेरोजगार युवकों शहजाद अहमद, मुहम्मद शफी लोन और रियाज अहमद को सेना में नौकरी दिलाने का झांसा देकर बुलाया गया। इसके बाद उन्होंने इन तीनों युवकों को 50-50 हजार रुपये के इनाम के बदले कर्नल पठानिया के अधीनस्थ अधिकारियों को 27 अप्रैल, 2010 को सौंप दिया। इस बीच 29 अप्रैल को इन युवकों के परिजनों ने निकटवर्ती पुलिस स्टेशन में उनके लापता होने की रिपोर्ट लिखवा दी। इसके एक दिन बाद सेना ने मच्छल में तीन घुसपैठियों को मार गिराने का दावा किया, लेकिन जब उनकी तस्वीर समाचार पत्रों में छपी तो पता चला कि मारे गए तीनों लोग नादिहाल से लापता युवक थे। पुलिस ने पहली मई, 2010 को ही मामले की छानबीन शुरू कर दी और मारे गए तीनों युवकों के शवों को कब्र से निकलवाकर पहचान कराई।
दंडित होने वाले सैन्यकर्मी
- कर्नल डीके पठानिया
- कैप्टन उपेंद्र
- हवलदार देवेंद्र
- लांसनायक लख्मी
- लांसनायक अरुण कुमार
'यह बहुत अहम मौका है। कश्मीर में यकीन करना मुश्किल है कि ऐसे मामलों में भी इंसाफ हो सकता है।' - उमर अब्दुल्ला, मुख्यमंत्री, जम्मू-कश्मीर (ट्विटर पर)
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।