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    बैलगाड़ी-साइकिल से शुरू हुआ था इसरो का सफर

    By Manish NegiEdited By:
    Updated: Wed, 15 Feb 2017 04:20 PM (IST)

    आपको जानकर हैरानी होगी कि इसरो का सफर बेहद ही साधारण तरीके साइकिल और बैलगाड़ी के जरिए हुआ था।

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    बैलगाड़ी-साइकिल से शुरू हुआ था इसरो का सफर

    नई दिल्ली, जेएनएन। इसरो ने बुधवार को एक साथ एक ही रॉकेट से 104 सेटेलाइटों को लॉन्च कर दुनियाभर में अपना लोहा मनवाया है। इसरो की उपलब्धि को इसलिए भी बड़ी कहा जा रहा है क्योंकि अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों को भी अबतक ऐसा कारनामा करने में सफलता नहीं मिली है। इसरो की इस कामयाबी पर आज पूरा देश गर्व महसूस कर रहा है।

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    आपको जानकर हैरानी होगी कि इसरो का सफर बेहद ही साधारण तरीके साइकिल और बैलगाड़ी के जरिए हुआ था। डॉ. विक्रम साराभाई ने 15 अगस्त 1969 को इसरो की स्थापना की थी। वैज्ञानिकों ने पहले रॉकेट को साइकिल पर लादकर प्रक्षेपण स्थल पर ले गए थे। इस मिशन का दूसरा रॉकेट काफी बड़ा और भारी था, जिसे बैलगाड़ी के सहारे प्रक्षेपण स्थल पर ले जाया गया था।

    इससे ज्यादा रोमांचकारी बात ये है कि भारत ने पहले रॉकेट के लिए नारियल के पेड़ों को लांचिंग पैड बनाया था। पूरे भारत में इसरो के 13 सेंटर हैं।

    देश के वैज्ञानिकों ने पहला स्वदेशी उपग्रह एसएलवी-3 लांच किया था। यह 18 जुलाई 1980 को लांच किया गया था। इस प्रोजेक्ट के डायरेक्टर पूर्व राष्ट्रपति श्री डॉक्टर अब्दुल कलाम थे।

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