डीयू कुलपति को हटाने में नए सिरे से जुटीं स्मृति ईरानी
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कुलपति दिनेश सिंह को उनके पद से हटाने के लिए नए सिरे से प्रयास शुरू कर दिया है। इसके तहत उन्हें नोटिस जारी कर पूछा गया है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को देखते हुए क्यों नहीं उन्हें पद
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कुलपति दिनेश सिंह को उनके पद से हटाने के लिए नए सिरे से प्रयास शुरू कर दिया है। इसके तहत उन्हें नोटिस जारी कर पूछा गया है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को देखते हुए क्यों नहीं उन्हें पद से हटा दिया जाए।
चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम को बिना जरूरी मंजूरी के लागू करने सहित कई फैसलों में मनमानी का आरोप लगाया गया है। इससे पहले ऐसे ही आरोपों के आधार पर मंत्रालय ने जब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से उन्हें पद से हटाकर उनके खिलाफ जांच शुरू करने का अनुरोध किया था तो उनके कार्यालय ने इसे नामंजूर कर दिया था।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, डीयू के कुलपति दिनेश सिंह का अब अपने पद पर ज्यादा समय तक बने रहना मुश्किल होगा। वे मानते हैं कि इस मामले में शीर्ष स्तर से दिलचस्पी ली जा रही है। इसके तहत उन्हें पुराने आरोपों के आधार पर नए सिरे से कारण बताओ नोटिस जारी कर 15 दिन के अंदर जवाब मांगा गया है।
इसमें ओबीसी छात्रों के लिए निर्धारित 150 करोड़ रुपये का उपयोग छात्रों और विभागों के लिए लैपटॉप की खरीद में किए जाने से लेकर चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम शुरू करने तक के आरोप शामिल हैं। ये सभी वही आरोप हैं जो दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने लगाए थे।
हालांकि इनमें से किसी भी मामले में उनके ऊपर व्यक्तिगत लाभ उठाने या किसी को अनैतिक रूप से फायदा पहुंचाने का कोई मामला नहीं है। मगर मंत्रालय ने इसे वित्तीय अनियमितता से लेकर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताते हुए उनसे इन सभी आरोपों पर जवाब मांगे हैं।
मंत्रालय और विश्वविद्यालय के बीच सबसे पहले मतभेद तब सामने आए थे जब नई सरकार ने आते ही चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम को वापस लेने को कहा था। दिनेश सिंह इसके लिए तैयार नहीं थे, जबकि छात्रों के विरोध को देखते हुए सरकार इसे तत्काल बंद करना चाहती थी।
इसी वर्ष जनवरी में मंत्रालय ने विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के नाते राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से अनुरोध किया था कि इन आरोपों के मद्देनजर उनको पद से हटाकर उनके खिलाफ जांच करवाई जाए। मगर राष्ट्रपति कार्यालय ने इस तरह की कार्रवाई से साफ इन्कार करते हुए उनके खिलाफ ठोस सबूत मांगे थे। दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास में न तो किसी कुलपति को अब तक इस तरह हटाया गया है और न ही इस तरह का नोटिस जारी किया गया है।
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