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स्मृति ने काकोदकर को मनाया, इस्तीफा वापस लेने को राजी

मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने परमाणु वैज्ञानिक अनिल काकोदकर को आइआइटी, मुंबई के चेयरमैन पद से इस्तीफा वापस लेने के लिए मना लिया है। काकोदकर ने कुछ अन्य आइआइटी के निदेशकों की नियुक्ति की प्रक्रिया में उनके साथ मतभेद के बाद त्यागपत्र दे दिया था।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 18 Mar 2015 06:24 PM (IST)Updated: Wed, 18 Mar 2015 08:13 PM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने परमाणु वैज्ञानिक अनिल काकोदकर को आइआइटी, मुंबई के चेयरमैन पद से इस्तीफा वापस लेने के लिए मना लिया है। काकोदकर ने कुछ अन्य आइआइटी के निदेशकों की नियुक्ति की प्रक्रिया में उनके साथ मतभेद के बाद त्यागपत्र दे दिया था।

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हालांकि राज्य सभा में विपक्ष ने इस मामले पर सरकार को घेरने की कोशिश की। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के वरिष्ठ सूत्रों ने बताया कि ईरानी ने स्वयं काकोदकर से विस्तृत चर्चा की है। इसके बाद पूरे मामले का पटाक्षेप हो गया है।

अब वे आइआइटी, मुंबई के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के प्रमुख के पद पर बने रहेंगे। उनका कार्यकाल मई तक ही है। ईरानी की उनसे बातचीत मंगलवार को ही हुई थी। खबरों के अनुसार, पटना, भुवनेश्वर और रोपड़ के आइआइटी निदेशकों की चयन प्रक्रिया को लेकर दोनों के बीच गहरे मतभेद हो गए थे। इसके बाद काकोदकर ने आइआइटी, मुंबई चेयरमैन के पद से इस्तीफा दे दिया था।

काकोदकर ने यह तो माना है कि उन्होंने इस्तीफा दिया था, मगर इसके कारण को लेकर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। अब 22 मार्च को आइआइटी निदेशकों की चयन समिति की अगली बैठक होने वाली है। अभी काकोदकर ने यह साफ नहीं किया है कि वे इस बैठक में शामिल होंगे या नहीं।

उधर, राज्य सभा में कांग्रेस ने इस मामले पर सरकार को घेरने की कोशिश की। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि इससे पहले आइआइटी दिल्ली के निदेशक और दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को भी ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा था। एक ओर प्रधानमंत्री कहते हैं कि वे विश्वस्तरीय शिक्षण संस्थान खड़े करेंगे। मगर दूसरी तरफ सरकार की ओर से ऐसे संस्थानों के कामकाज में बहुत ज्यादा दखलंदाजी हो रही है। इसकी वजह से इन बेहतरीन शिक्षण संस्थानों की स्थिति बहुत दयनीय हो रही है।

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