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    अनुभव मित्तल पर कसा मनी लांड्रिंग का शिकंजा, प्रवर्तन निदेशालय ने मारा छापा

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Mon, 06 Feb 2017 06:35 AM (IST)

    ईडी के लखनऊ ब्रांच के संयुक्त निदेशक राजेश्वर सिंह ने कहा कि आरोपियों को एक-दो दिन में हिरासत में लेकर पूछताछ की जाएगी। ...और पढ़ें

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    अनुभव मित्तल पर कसा मनी लांड्रिंग का शिकंजा, प्रवर्तन निदेशालय ने मारा छापा

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लुभावनी स्कीमों के सहारे साढ़े छह लाख लोगों से 3700 करोड़ रुपये उगाहने वाले अभिनव मित्तल पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का शिकंजा कस गया है। ईडी ने अभिनव मित्तल और अन्य आरोपियों के खिलाफ मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत केस दर्ज करने के बाद उनके ठिकानों पर छापा मारा। ईडी के लखनऊ ब्रांच के संयुक्त निदेशक राजेश्वर सिंह ने कहा कि आरोपियों को एक-दो दिन में हिरासत में लेकर पूछताछ की जाएगी।

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    ईडी ने नोएडा, गाजियाबाद और कानपुर में आरोपियों के ठिकानों पर मारे गए छापे में अहम दस्तावेज मिलने का दावा किया है। शुरूआती सबूतों के अनुसार अनुभव मित्तल ने लुभावने वायदे से जुटाए गए खरबों रुपये को कई नामी-बेनामी संपत्तियों में निवेश कर दिया था। ईडी की कोशिश इन सभी संपत्तियों का पता लगाकर उन्हें जब्त करने की है, ताकि निवेशकों का पैसा वापस लौटाया जा सके।

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    अनुभव मित्तल एबलेज इंफो सॉल्युशंस, सोशल ट्रेड इंडिया, 3डब्ल्यू डिजिटल और इंटमार्ट इंडिया के नाम से बनाई गई चार कंपनियों के मार्फत निवेशकों से आए पैसे की हेराफेरी करता था। बैंकों से इन सभी कंपनियों के खातों से हुई देन-देन की जानकारी देने को कहा गया है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि निवेशकों का पैसा कहां-कहां निवेश किया गया था। राजेश्वर सिंह ने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता नामी-बेनामी संपत्तियों में लगाए गए निवेशकों के धन का पता लगाकर उन्हें जब्त करना है, ताकि आरोपी उसे कहीं और नहीं खपा सकें। एसटीएफ ने पहले ही अनुभव मित्तल की कंपनियों के बैंक में जमा 500 करोड़ रुपये को जब्त कर चुका है।

    अनुभव मित्तल ने आम निवेशकों का ठगने का अनोखा तरीका ढूंढ निकाला था। वह गूगल और फेसबुक जैसे अंतरराष्ट्रीय सोशल साइट पर वेबपेज लाइक करने के बदले पैसे का लालच देता था। उसने झूठा प्रचारित कर रखा था कि अंतरराष्ट्रीय सोशल साइट इन वेबपेजों के लिए हर लाइक पर छह रूपये का कमीशन देता है, जिनमें से उसकी कंपनी पांच रुपये निवेशकों को दे देती है। लेकिन इन पेजों को लाइक करने का अधिकार उन्ही को मिलता था, जो मित्तल की कंपनियों में निवेश करते थे। पुराने निवेशकों के सहारे नए निवेशकों को फंसाने के लिए उसने कई स्कीम चला रखा था। सोशल साइट्स के बारे में नहीं जानने वाले छोटे-छोटे निवेशक मित्तल के जाल फंसते चले गए और दो-तीन सालों में ही उनसे 3700 करोड़ रुपये जुटा लिया।

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