क्या नीतीश को इस्तीफा देना चाहिए?
मतगणना के शुरुआती रुझान ने ही यह स्पष्ट संकेत दे दिया है कि बिहार में लोकसभा चुनाव में अगर सबसे अधिक किसी दल को नुकसान हो रहा है तो वह है जदयू।
पटना, [एसए शाद]। मतगणना के शुरुआती रुझान ने ही यह स्पष्ट संकेत दे दिया है कि बिहार में लोकसभा चुनाव में अगर सबसे अधिक किसी दल को नुकसान हो रहा है तो वह है जदयू।
पिछले लोकसभा चुनाव में 22 सीटें हासिल करने वाली पार्टी को लगता है इस बार तीन या चार सीटों पर ही संतोष करना पड़ेगा। इस खराब प्रदर्शन के बाद लोगों में यह चर्चा जोर पकड़ती जा रही है कि जदयू के कमांडर नीतीश कुमार क्या मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे। क्या इस खराब प्रदर्शन की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए वह मुख्यमंत्री पद से हटना उचित समझेंगे। यह सवाल इस कारण भी लोगों के मन में कौंध रहा है क्योंकि नीतीश कुमार खुद चुनाव प्रचार अभियान के दौरान कह चुके हैं कि अगर लोकसभा चुनाव में पार्टी को 'ताकत' नहीं मिली तो भाजपा उनकी सरकार गिरा देगी। भाजपा की ओर से भी इस संबंध में दावे किए जाते रहे हैं।
वरिष्ठ भाजपा नेता अश्रि्वनी कुमार चौबे ने तो नीतीश सरकार के गिरने की तारीख भी तय कर दी है। उनके मुताबिक, नीतीश सरकार 21 मई को गिर जाएगी। भाजपा के सहयोगी दल लोजपा के अध्यक्ष रामविलास पासवान भी कह चुके हैं कि नीतीश कुमार की सरकार गिर जाएगी, सूबे में जल्द ही चुनाव होंगे। इन सबके बावजूद राजनीतिक समीक्षकों की नजर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिलहाल इस्तीफा देने की नहीं सोचेंगे। पहला कारण तो यह है कि उनके इस्तीफे के बाद चुनाव आयोग तुरंत चुनाव कराएगा, यह जरूरी नहीं है। दिल्ली का उदाहरण सामने है। अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा देने से पहले यह जरूर सोचा था कि चुनाव आयोग जल्द ही फिर से चुनाव करा देगा, जिसका उन्हें लाभ मिलेगा। नीतीश कुमार चुनाव आयोग की कार्यशैली से बखूबी वाकिफ हैं। दूसरा कारण यह भी है कि इस लोकसभा चुनाव को वह अपनी सरकार के लिए चुनौती मानकर चलेंगे। उनकी कोशिश होगी कि अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले लोगों की नाराजगी दूर की जाए। सरकार में रहकर यह काम ज्यादा बेहतर ढंग से किया जा सकता है।
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