निर्मल गंगा की राह में नाले रोड़ा
शिव की जटाओं से धरती में आई पतित पावनी के आंचल को हर कोई धवल देखना चाहता है। लेकिन धवल व निर्मल गंगा की राह में नालों से निकला गंदा पानी व सहायक नदियों का कचरा उसकी निर्मलता में बाधक बन रहा है। मां के आंचल की निर्मलता पर बातें कुछ भी हो, लेकिन सच यही है कि जब तक इसमें सीधे व स
फतेहपुर, जागरण संवाददाता। शिव की जटाओं से धरती में आई पतित पावनी के आंचल को हर कोई धवल देखना चाहता है। लेकिन धवल व निर्मल गंगा की राह में नालों से निकला गंदा पानी व सहायक नदियों का कचरा उसकी निर्मलता में बाधक बन रहा है। मां के आंचल की निर्मलता पर बातें कुछ भी हो, लेकिन सच यही है कि जब तक इसमें सीधे व सहायक नदियों के जरिए गिरने वाले नाले नहीं रोके जाएंगे, तब तक धवल धार की बात केवल बातों में तैरती रहेगी।
कानपुर सरहद से छिवली नदी के समीप गंगा में पांडु नदी आकर गिरती है। पांडु नदी में कानपुर की टेनरियों व फतेहपुर के चौडगरा स्थिति कल-कारखानों का जहरीला पानी बहता है। बेनीखेड़ा के समीप पांडु नदी का यह जहरीला पानी गंगा नदी में समा जाता है। बताते हैं कि पांडु नदी का पानी इतना प्रदूषित है कि उसे छूने से ही खुजली होने लगती है। खेतों में पानी पहुंच गया तो फसल झुलस जाती है। गंदा व जहरीला पानी चौबीस घंटे गंगा में जा रहा है। पांडु नदी अकेले ही प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बनी हुई है।
आशा अभयपुर से गंगा फतेहपुर की सीमा को छूते हुए खागा के नौबस्ता घाट तक जाती है। इतनी दूरी में गंगा में बीस से अधिक छोटे व बड़े नाले गिरते है। ससुरखदेरी व यमुना नदी में जाने वाला गंदा पानी व प्रदूषण भी जिले में न सही आगे इलाहाबाद संगम में गंगा नदी में पहुंच जाता है। गंगा को प्रदूषण मुक्त करने का भागीरथी प्रयास कर रहे स्वामी विज्ञानानंद ने कहा कि गंगा कि निर्मलता की बात तभी कारगर हो सकती है, जब सभी नाले व सहायक नदियों से आने वाले जहरीले पानी को रोका जाए। उन्होंने कहा कि ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर गंगा में पानी डालना निर्मलता का उपाय नहीं है। इस पानी को कैनाल में डाला जाए।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।