जानिए, मोदी सरकार की इस योजना से कैसे बचे हजारों करोड़ रुपये
केंद्र सरकार द्वारा डिजीटाइजेशन को बढ़ावा देने के परिणाम सामने आने लगे हैं जिनकी बदौलत सरकार ने हजारों करोड़ रुपये की बचत की है।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं तो टेक्नोलॉजी में विश्वास रखते हैं लेकिन सत्ता संभालने के बाद उन्होंने डिजिटाइजेशन पर भी बहुत जोर दिया। सरकार ने डिजिटिल इंडिया की शुरूआत कि और अब इसी डिजिटाइजेशन से सरकार को बहुत फायदे मिलते हुए दिखाई दे रहे हैं। टाईम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, डिजिटाइजेशन की मदद से सरकार ने 1.62 करोड़ ऐसे फर्जी राशन कार्ड्स को समाप्त कर दिया है जिनकी मदद से पिछले तीन वर्षों के दौरान 10,190 करोड़ रुपये के राशन का बंटवारा हुआ।
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वहीं, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) की मदद से सरकार ने तीन केंद्र शासित प्रदेश, पुडुचेरी, दादरा और नगर हवेली में 13 करोड़ रुपये की बचत की है। खाद्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, "जब से हमने मानवीय हस्तक्षेप को खत्म किया है तब से सब्सिडी वाले खाद्यान्न में कमी आई है और राष्ट्रीय खाद्यान्न योजना को पूरी तरह प्रौद्योगिकी के अनुरूप संचालित किया जा रहा है।" वर्तमान में भारत में 23 करोड़ राशन कार्ड धारक हैं।
यहां तक कि रिकॉर्ड भी यह बताते हैं कि मोदी सरकार ने पिछले 23 माह के दौरान राज्य सरकारों को कंप्यूटरीकरण कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ इस क्षेत्र में सुधार लाने के लिए कितनी मेहनत की। इसका उदाहरण भी सामने हैं, कि 3 मई तक सभी 36 राज्यों (केंद्र शासित सहित) ने शत-प्रतिशत राशन कार्ड्स का डिजिटलीकरण कर लिया था।
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इसी तरह 54 फीसद लोगों ने राशन कार्ड को आधार के साथ लिंक करा लिया है जबकि सरकार के पदभार ग्रहण करते समय यह आंकड़ा महज 8 फीसद था। यहां तक की कई राज्यों ने अपनी सप्लाई चेन, डिपो से लेकर फेयर प्राइस शॉप तक को कम्प्यूटरीकृत कर दिया है। जून 2014 तक इनकी संख्या केवल 3 थी जो बढ़कर अब 13 हो गई है।

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