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    अमीरोंं से ज्यादा गरीबों के लिए है डिजिटल इंडिया : रविशंकर प्रसाद

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Mon, 09 May 2016 07:28 AM (IST)

    संचार एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सही मायने में डिजीटल इंडिया अमीर से ज्यादा गरीबों के लिए जरूरी है।

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    संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को आम तौर पर मोबाइल, इंटरनेट, स्पेक्ट्रम से जुड़े मामलों के लिए जाना जाता है और यह भी एक आम धारणा है कि इसका आम जनता या गरीब जनता से कुछ खास लेना देना नहीं है। संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद बिल्कुल उल्टा मानते हैैं। यही वजह है कि राजग सरकार की डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को वह अमीरों से ज्यादा गरीबों व ग्रामीण जनता के लिए जरुरी मानते हैैं। विशेष संवाददाता जयप्रकाश रंजन को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि पिछले दो वर्षो के कार्यकाल की उपलब्धियों से वह बहुत हद तक संतुष्ट हैैं।

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    प्रश्न : बतौर संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री आप अपने मंत्रालय के पहले दो वर्षों के कार्यकाल को किस तरह से देखते हैं?

    उत्तर : मैैंने जब इस मंत्रालय में काम काज संभाला तो मेरे सामने पांच अहम लक्ष्य थे। पहला था संचार भवन की छवि को सुधारना। दूसरा, संचार क्षेत्र की नीतियों में आई जड़ता को खत्म करना। तीसरा, टेलीकॉम व सूचना प्रौद्योगिकी में निवेश को बढ़ावा देना। चौथा था डाक विभाग में नया जोश भरना व बदलते माहौल के मुताबिक उनकी प्रासंगिकता बनाना। पांचवा लक्ष्य सबसे अहम था वह था देश में सूचना प्रौद्योगिकी व संचार क्रांति के फायदे को समाज के सबसे निचले तबके तक ले जाना।

    प्रश्न - तो क्या आप इन लक्ष्यों को हासिल कर चुके हैैं..

    उत्तर - यह तो नहीं कह सकता कि लक्ष्य हासिल हो चुके हैैं लेकिन हम मजबूती से सही दिशा में बढ़ रहे हैैं। अब आप देखिए कि संचार भवन से बिचौलिये गायब हैैं। दूरसंचार क्षेत्र से जुड़ी सारी नीतियों पर काफी पारदर्शी तरीके से फैसले हो रहे हैैं। लगभग सभी लंबित नीतियां पर दो टूक फैसला हो चुका है। मसलन, स्पेक्ट्रम टे्रडिंग व शेयरिंग और स्पेक्ट्रम हार्मोनाइजेशन संबंधी नीतियों से देश की संचार कंपनियों के पास स्पेक्ट्रम की कमी को दूर करने का खाका तैयार हो चुका है। इसका असर दिखाई देने लगा है।

    इसके अलावा क्वाउड कम्पयूटिंग, रक्षा विभाग के पास पड़े स्पेक्ट्रम की पहचान, ओपन सोर्स, ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने वाले हमारे सारे कदम बताते हैैं कि सिर्फ दो वर्षों में हमने नीतिगत स्तर पर भारतीय संचार व सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र को न सिर्फ अत्याधुनिक रूप दिया है बल्कि इससे आम जनता को जोडऩे का काम भी हुआ है। आपने देखा होगा कि पिछले वर्ष हमने स्पेक्ट्रम 1,10,000 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल किया। संचार क्षेत्र में अभी तक का सबसे ज्यादा 26 हजार करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेश निवेश हुआ है। यही नहीं वर्ष 2014-2016 के बीच मोबाइल टेलीफोनी 12.66 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है जबकि इसके पिछले दो वर्षो में इसमें 1.46 करोड़ की कमी हुई थी।

    प्रश्न : लेकिन आपको लगता नहीं कि इन दो वर्षो में कॉल ड्रॉप की समस्या और गंभीर हुई है?

    उत्तर : देखिए कॉल ड्रॉप की समस्या पहले से थी। हां, हमारी सरकार ने पहली बार इस समस्या का समाधान करने की कोशिश की। दूरसंचार नियामक प्राधिकरण मोबाइल कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का कदम उठा चुका है जो फिलहाल अदालत में विचाराधीन है। लेकिन सरकार की सख्ती का ही असर है कि जुलाई, 2015 से अप्रैल, 2016 के बीच निजी मोबाइल कंपनियों ने 94,279 नए टावर देश भर में लगाये हैैं। भारत संचार निगम ने 24 हजार टावर लगाये हैैं औ्र 21 हजार टावर और लगाने जा रही है। सरकारी भवनों पर टावर लगाने का फैसला किया गया है और राज्य सरकारों से भी कहा गया है कि वे ग्र्राहकों के हितों को ध्यान में रखते हुए टावर लगाने में मदद करे।

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    प्रश्न : लेकिन लोगों में टावर से निकलने वाले विकिरण को लेकर डर है, उसे कैसे खत्म किया जाएगाा?

    उत्तर : मैैंने पिछले हफ्ते संसद में भी कहा था और आज आपके समाचार पत्र के साथ देशवासियों को बताना चाहता हूं कि यह डर बेवजह है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने इस बारे में 25 हजार अध्ययनों के आधार पर कहा है कि यह बिल्कुल बेबुनियाद बातें हैैं। देश में छह उच्च न्यायालयों ने अपने फैसलों में इस तथ्य को पूरी तरह से खारिज किया है कि मोबाइल टावरों से लोगों को कैंसर या कोई अन्य गंभीर बीमारी होती है। जनता में अज्ञानता होने की वजह से लोगों ने टावर लगाने से मना किया और इससे कॉल ड्रॉप की समस्या गंभीर हुई। सरकार के आंकड़े बताते हैैं कि कॉल ड्रॉप की समस्या में काफी तेजी से सुधार हो रहा है।

    प्रश्न : डाक घर को बैैंक मेंं तब्दील करने की आपकी योजना कहां तक पहुंची?

    उत्तर : जैसा कि आप सभी को मालूम है कि भारतीय डाक विभाग को पेमेंट बैैंक में तब्दील करने का लाइसेंस मिल चुका है। हम अगले वर्ष से देश भर में पेमेंट बैैंक के तौर पर काम करने को तैयार हैैं। इंडियन पोस्ट की 1.50 लाख डाकघरों को देखते हुए विश्व बैैंक, लेहमन ब्रदर्स जैसे दर्जनों विदेशी संस्थान और घरेलू वित्तीय संस्थान भारतीय डाक के साथ देश के बैंकिंग में उतरने की इच्छा जता चुके हैैं। हमने फैसला किया है कि इन कंपनियों के बीच हम प्रतिस्पद्र्दा कराएंगे और उसमें सफल होने वालों को अपना साझेदार बनाएंगे।

    भारत बहुत ही विशाल है और हम चाहते हैैं कि अलग अलग भूभाग के लिए भारतीय डाक विभाग अलग अलग बैैंकिंग साझेदार चुनें। इस बीच 22 हजार डाक घरों को कोर बैैंकिंग सोल्यूशंस से जोड़ा जा चुका है इस तरह से यह बैैंकिंग के मामले में स्टेट बैैंक से भी बड़ा संगठन बन चुका है। डाकियों को एक बेहद छोटी मशीन देने की प्रक्रिया शुरु हो रही है जिससे वह नकदी जमा करने, नकदी देने आदि की सेवा अब ग्र्राहकों को घर घर जा कर सकेंगे।

    प्रश्न : लेकिन डिजिटल इंडिया की सबसे अहम कड़ी भारत नेट की प्रगति कोई खास नहीं है?

    उत्तर : यह तो कहा जा सकता है कि भारत नेट के तहत तमाम योजनाओं में और तेजी से काम होना चाहिए था लेकिन हमने जो प्रगति की है आप जरा उस पर भी तो गौर फरमाइये। इस योजना के तहत ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) व ओप्टिकल फाइबर पाइप (ओएफपी) डालने का काम वर्ष 2011 से शुरु हुआ। जब हमारी सरकार ने सत्ता संभाली तो सिर्फ 358 किलोमीटर लंबी ओएफसी डाली गई थी आज इसकी लंबाई 1,11,726 किलोमीटर को पार कर गई है। 60,849 पंचायतों में पाइप डाली जा चुकी है और 50,965 पंचायतों को ओएफसी से जोड़ा जा चुका है। हम लगातार इस पर नजर रखे हुए हैैं और मई, 2018 तक हम देश के सभी पंचायतों को तेजी से चलने वाले इंटरनेट व ओएफसी से जोड़ देंगे।

    हमारी डिजिटल इंडिया को इसलिए ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहन दे रहे हैैं कि इससे गरीब जनता का सबसे ज्यादा फायदा होता है। भारत नेट देश के किसानों को सीधे बड़े बाजार से जोडऩे लगा है। गांवों को बेहतरीन स्वास्थ्य व शिक्षा सुविधा पहुंचाने में यह कार्यक्रम मील का पत्थर साबित होगा। यह सरकार के काम काम को बेहतर करने लगा है। अब जन्म प्रमाण पत्र या मृत्यु प्रमाण पत्र जैसे तमाम तरह की सेवाएं ऑन लाइन उपलब्ध है। मेरा मानना है कि अगले दो से तीन वर्षों के भीतर आम जनता और गरीब जनता के जीवन में डिजिटल इंडिया से कई तरह के बदलाव आएंगे। यही वजह है कि हम ग्र्रामीण क्षेत्रों के लोगों में डिजिटल साक्षरता पर सबसे ज्यादा जोर देने जा रहे हैैं।