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    मोदी ने सुझाया तेलंगाना के विकास का नुस्खा

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    Updated: Wed, 31 Jul 2013 06:31 AM (IST)

    तेलंगाना गठन की घोषणा कर कांग्रेस ने राजनीतिक माहौल को संभालने की कोशिश तो की, लेकिन भाजपा ने उसकी मंशा पर सवाल उठाते हुए अपनी ओर से विकास का रोडमैप प ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। तेलंगाना गठन की घोषणा कर कांग्रेस ने राजनीतिक माहौल को संभालने की कोशिश तो की, लेकिन भाजपा ने उसकी मंशा पर सवाल उठाते हुए अपनी ओर से विकास का रोडमैप पेश कर दिया है। 11 अगस्त को हैदराबाद पहुंच रहे भाजपा के चुनावी चेहरा नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश की जनता के नाम खुले पत्र में लगभग घोषणापत्र की शक्ल में विकास का वादा किया। साथ ही, हैदराबाद को संयुक्त राजधानी बनाए जाने पर भी सवाल उठाकर तेलंगाना की जनता को साधने की कोशिश की। जबकि कांग्रेस की मंशा पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि नौ वर्षो तक वह समितियों का बहाना बनाकर छिपती रही।

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    कांग्रेस ने पृथक तेलंगाना का फैसला कर भाजपा से एक मुद्दा छीन लिया है। लेकिन मोदी पलटवार की तैयारी में जुट गए हैं। प्रधानमंत्री उम्मीदवार माने जा रहे मोदी 11 अगस्त को हैदराबाद जा रहे हैं। लेकिन मंगलवार को ही पत्र के रूप में उन्होंने वहां की जनता को संबोधन कर दिया। अपनी ओर से मोदी ने एक तरह से घोषणापत्र पेश कर दिया और कहा कि भाजपा पूरे प्रदेश का ऐसा विकास करना चाहती है, जिसमें सभी क्षेत्र आगे बढ़ें।

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    विशाखापत्तानम, विजयवाड़ा, गुंटूर, वारांगल, करीमनगर, अनंतपुर, कुरनूल और कडप्पा शहर का नाम लेते हुए उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि सभी स्थान पर अवसर पैदा हों। राज्य में राजनीतिक स्थिरता, कानून व्यवस्था, हर क्षेत्र में पानी की उपलब्धता समेत तेलुगू सांस्कृतिक विरासत को बरकरार रखने जैसे वादे भी मोदी की झोली में थे। तेलंगाना गठन की घोषणा पर बधाई देते हुए मोदी ने यह संदेश पहुंचाने की कोशिश की कि राज्य गठन के बाद विकास की सोच भी जरूरी है। और वह कांग्रेस नहीं भाजपा दे सकती है।

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    कांग्रेस की मंशा पर सवाल उठाते हुए मोदी ने कहा कि पिछले नौ साल तक सरकार अलग अलग समितियों के पीछे छिपती रही है। उसकी रीति नीति कभी भी पारदर्शी नहीं रही है। अभी भी उसकी मंशा पर भरोसा नहीं होता है। जबकि भाजपा सरकार ने उत्ताराखंड, झारखंड और छत्ताीसगढ़ के रूप में तीन नए राज्यों का गठन किया था। मोदी ने कांग्रेस सरकार के सामने कुछ सवाल रखे। उन्होंने पूछा कि अब तक तेलंगाना को लेकर पार्टी के अंदर कोई आम सहमति क्यों नहीं बन पाई। उन्होंने हैदराबाद को संयुक्त राजधानी बनाए जाने पर भी सवाल उठाया और कहा कि सामान्यतया संयुक्त राजधानी तब बनती है जब वह दो राज्यों की सीमा पर हो। हैदराबाद पूरी तरह तेलंगाना की सीमा में है। ऐसे में संयुक्त राजधानी बनाए जाने से प्रशासनिक परेशानी होगी।

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