ई-रिक्शा पर हाई कोर्ट के रुख से सरकार को छूटा पसीना
हलफनामे के बावजूद ई-रिक्शा पर प्रतिबंध हटाने से दिल्ली हाई कोर्ट के इन्कार के बाद केंद्र सरकार ने ई-रिक्शा को मोटर वाहन एक्ट के अधीन लाने के लिए हाथ-पांव मारने शुरू कर दिए हैं। इसके तहत हलफनामे में प्रस्तावित ई-रिक्शा नियमों को कैबिनेट से मंजूर कराकर कोर्ट को संतुष्ट करने की कोशिश होगी। परंतु यदि कोर्ट तब भी नहीं माना तो फिर एक्ट में संशोधन के लिए संसद का दरवाजा खटखटाने के अलावा सरकार के समक्ष कोई चारा नहीं बचेगा।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। हलफनामे के बावजूद ई-रिक्शा पर प्रतिबंध हटाने से दिल्ली हाई कोर्ट के इन्कार के बाद केंद्र सरकार ने ई-रिक्शा को मोटर वाहन एक्ट के अधीन लाने के लिए हाथ-पांव मारने शुरू कर दिए हैं। इसके तहत हलफनामे में प्रस्तावित ई-रिक्शा नियमों को कैबिनेट से मंजूर कराकर कोर्ट को संतुष्ट करने की कोशिश होगी। परंतु यदि कोर्ट तब भी नहीं माना तो फिर एक्ट में संशोधन के लिए संसद का दरवाजा खटखटाने के अलावा सरकार के समक्ष कोई चारा नहीं बचेगा।
फिलहाल सरकार ने मोटर एक्ट में संशोधन के लिए कैबिनेट नोट तैयार कर लिया गया है। इसे सोमवार तक मंत्रिमंडल से मंजूर कराकर कोर्ट में पेश करने का प्रयास किया जाएगा। यदि इस पर भी कोर्ट ने प्रतिबंध नहीं हटाया तो सरकार इन नियमों को प्रस्तावित नए मोटर वाहन संशोधन विधेयक, 2014 का हिस्सा बनाएगी। इसे संसद के चालू सत्र में पारित कराने का प्रयास किया जाएगा। मौजूदा सत्र 14 अगस्त को समाप्त हो रहा है। लिहाजा बहुत संभावना है कि अगले सत्र तक इंतजार करना पड़े। यदि ऐसा हुआ तो सरकार को अध्यादेश लाना पड़ेगा।
इस बीच ट्रांसपोर्ट विशेषज्ञों ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यदि सरकार वास्तव में ई-रिक्शा को मोटर वाहन एक्ट में लाना चाहती है तो नए संशोधन एक्ट का इंतजार किए बगैर ई-रिक्शा संबंधी नियमों को पहले से लंबित संशोधन एक्ट में शामिल कर पारित कराना चाहिए। यह आसान होगा। लंबित मोटर वाहन संशोधन विधेयक 2012 में राज्यसभा से पारित हो चुका है। पिछली संप्रग सरकार इसे लोकसभा से पारित कराए बगैर चली गई।
अब नई सरकार उस एक्ट को आगे बढ़ाने के बजाय पूरी तरह से नया मोटर वाहन संशोधन विधेयक लाने की बात कर रही है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी इस संबंध में कई बार बयान दे चुके हैं। लेकिन यह आसान नहीं है। लोकसभा में सरकार भले ही विधेयक को आसानी से पारित करा ले, परंतु राज्यसभा में ई-रिक्शा संबंधी नियमों की विपक्षी दल जमकर चीरफाड़ करेंगे।
वैसे भी राज्यसभा में भाजपा बहुमत में नहीं है, जबकि लोकसभा में नेता विपक्ष का दर्जा न मिलने से खिसियाई कांग्रेस ने अहम विधेयकों पर अड़ंगा लगाने के संकेत दिए हैं।
इस बीच कितनी क्षमता तक के ई-रिक्शों को सरकार मोटर वाहन एक्ट के दायरे में लाना चाहती है इसे लेकर भ्रम की स्थिति है। मंत्रालय के अफसरों का कहना है कि 1000 वॉट तक के ई-रिक्शों को मोटर एक्ट में लाया जाएगा। जबकि हाई कोर्ट में पेश हलफनामे से लगता है कि 650-1000 वॉट से कम क्षमता केई-रिक्शे ही इसके दायरे में आएंगे।
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