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    मोटर एक्ट के अधीन होंगे 650-1000 वॉट तक के ई-रिक्शा

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    Updated: Fri, 08 Aug 2014 09:57 AM (IST)

    दिल्ली हाईकोर्ट के सख्त निर्देश के बाद ई-रिक्शों पर केंद्र सरकार का रुख कुछ नरम तो हुआ है, लेकिन 650 वॉट तक के ई-रिक्शों को मोटर वाहन अधिनियम के तहत लाने को वह अब भी तैयार नहीं है। उसने केवल 650 से 1000 वॉट तक के ई-रिक्शों को मोटर अधिनियम के अधीन लाने का प्रस्ताव किया है।

    नई दिल्ली (संजय सिंह)। दिल्ली हाईकोर्ट के सख्त निर्देश के बाद ई-रिक्शों पर केंद्र सरकार का रुख कुछ नरम तो हुआ है, लेकिन 650 वॉट तक के ई-रिक्शों को मोटर वाहन अधिनियम के तहत लाने को वह अब भी तैयार नहीं है। उसने केवल 650 से 1000 वॉट तक के ई-रिक्शों को मोटर अधिनियम के अधीन लाने का प्रस्ताव किया है। इन्हीं का पंजीकरण अनिवार्य होगा और इन्हीं पर हर तीन साल में नवीकरण की बंदिश होगी। इससे कम क्षमता के ई-रिक्शों को नियमित करने की जिम्मेदारी नगर निगमों व पुलिस की होगी।

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    केंद्र सरकार 650 वॉट तक के ई-रिक्शों को मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के अधीन लाने के पक्ष में नहीं है। वह नगर निगमों तथा पुलिस के जरिये ही इनका नियमन कराना चाहती है। इस संबंध में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय कुछ रोज पहले राज्य सरकारों को पत्र भी लिख चुका है। लेकिन, ट्रांसपोर्ट संगठन तथा विशेषज्ञ केंद्र के रुख का विरोध कर रहे हैं। यहां तक कि दिल्ली सरकार ने भी हाई कोर्ट में सहयोगात्मक रुख नहीं दिखाया है। लिहाजा मंत्रालय ने 650 वॉट से अधिक तथा 1000 वॉट तक की क्षमता के ई-रिक्शों को मोटर वाहन एक्ट में लाने की बात मान ली है। इसके लिए मोटर वाहन अधिनियम में अलग से प्रावधान किए जाएंगे।

    इस वर्ग में आने वाले ई-रिक्शों की अधिकतम अनुमानित गति 25 किलोमीटर और वहन क्षमता चार व्यक्ति और 50 किलोग्राम सामान की होगी। इन्हें केवल नगर निगमों या ग्राम पंचायतों की सीमा के भीतर चलाया जा सकेगा। इन्हें राजमार्गो पर चलाना दंडनीय होगा। ई-रिक्शा को लेकर विशेषज्ञों की सबसे बड़ी आपत्ति इनके लिए असुरक्षित डिजाइन और मैन्यूफैक्चरिंग के मानक नियम न होने पर थी। इसे दूर करने के लिए मंत्रालय ने 650-1000 वॉट के ई-रिक्शा के स्टैंडर्ड स्ट्रक्चरल डिजाइनों को अधिसूचित करने का निश्चय किया है। इनके कलपुर्जो मसलन, ब्रेक, लाइट, हॉर्न, टायरों आदि के बारे में भी सुरक्षा मानक तय किए जाएंगे। इन मानकों पर खरे उतरने वाले वाहनों को 'रोडवर्दी' माना जाएगा। हालांकि इन ई-रिक्शों को फिटनेस सर्टिफिकेट देने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों से संबंधित संगठनों के मैकेनिकल इंजीनियरों को सौंपने को लेकर अभी भी विशेषज्ञों की नाराजगी है। उनका कहना है कि फिटनेस सर्टिफिकेट देने में ऑटोमोबाइल इंजीनियर की भूमिका आवश्यक है। टेस्टिंग एजेंसियां समय-समय पर ई-रिक्शा बनाने वाली इकाइयों का औचक मुआयना करेंगी।

    इन ई-रिक्शों का पंजीकरण फार्म काफी सरल और शुल्क मामूली रहेगा। केवल वैध ड्राइविंग लाइसेंस धारक चालकों के नाम पर ही पंजीकरण किया जाएगा। शुरू में ई-रिक्शों के पंजीकरण के लिए विशेष शिविर लगाए जाएंगे। पंजीकरण के साथ लाइसेंस का भी तीन साल में नवीकरण कराना होगा। नगर निगम और पुलिस इन ई-रिक्शों के रूट भी निर्धारित करेगी।

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