Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जंग व केजरीवाल की तकरार में आज दखल दे सकता है केंद्र

    By anand rajEdited By:
    Updated: Thu, 21 May 2015 12:48 PM (IST)

    दिल्ली में अधिकारों को लेकर उप राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच चल रहे विवाद में अब केंद्र सरकार दखल देने का मन बना रही है। सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार आज दिल्ली सरकार को संविधान के अनुच्छेद 355 का पाठ पढ़ा सकती है। जानकारों की मानें तो केंद्र

    नई दिल्ली। दिल्ली में अधिकारों को लेकर उप राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच चल रहे विवाद में अब केंद्र सरकार दखल देने का मन बना रही है। सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार आज दिल्ली सरकार को संविधान के अनुच्छेद 355 का पाठ पढ़ा सकती है। जानकारों की मानें तो केंद्र सरकार राज्य सरकार को इस बात का निर्देश दे सकती है कि वो संविधान के दायरे में रहकर दिल्ली का प्रशासन चलाए। केंद्र सरकार कई विकल्पों पर विचार कर रही है और खासतौर पर अनुच्छेद 355 के बारे में कानून के जानकारों से राय ले रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जंग की पलटवार पर नरम पड़ी दिल्ली सरकार

    सूबे पर हुकूमत के हक को लेकर उपराज्यपाल नजीब जंग के तेवर और तीखे हो गए हैं तो अब सरकार के रुख में थोड़ी नरमी महसूस की जा रही है। जंग ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा बीते चार दिनों में वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति और तबादलों संबंधी जारी किए गए अलग-अलग आदेशों को खारिज कर दिया है।

    उन्होंने सरकार को उसकी संवैधानिक हद बताते हुए स्पष्ट किया है कि इन अधिकारियों की नियुक्ति और स्थानांतरण का फैसला करने का अधिकार उनको हासिल है। लिहाजा, बगैर उनकी इजाजत के ऐसा कोई भी निर्णय असंवैधानिक है।

    उपराज्यपाल ने केजरीवाल को लिखी चिट्ठी

    मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भेजे पत्र में जंग ने स्पष्ट लिखा है कि दिल्ली बाकी राज्यों की तरह पूर्ण राज्य नहीं है। यह एक केंद्र शासित प्रदेश है जहां अधिकतम अधिकार उपराज्यपाल को हासिल हैं। लेकिन आप पूर्ण राज्य के मुख्यमंत्री की तरह बर्ताव कर रहे हैं जो सर्वथा अनुचित है।

    दूसरी ओर, सरकार की ओर से आला नौकरशाहों के जख्मों पर मरहम लगाने की कवायद हुई। दिल्ली सचिवालय में बैठक आयोजित कर मुख्यमंत्री केजरीवाल व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उनसे सरकार के कामकाज के तौर-तरीकों पर चर्चा की व इसी बहाने नौकरशाही से लगातार बिगड़ रहे अपने रिश्तों को दुरुस्त करने का प्रयास किया।

    बैठक में कुछ वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में सिसोदिया ने कहा कि जो फाइलें उपराज्यपाल से संबंधित होंगी, उन्हें राजनिवास भेजा जाएगा। अधिकारी यह जानना चाहते थे कि आखिर बीते 21 वर्षो से जारी संवैधानिक व्यवस्था का उल्लंघन वे किस प्रकार कर सकते हैं।

    टकराव डालने में जुटे हैं वरिष्ठ अधिकारी

    बताया गया है कि कुछ वरिष्ठ नौकरशाह उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच का टकराव टालने की कवायद में जुट गए हैं और उन्हें सरकार की ओर से हरी झंडी भी दे दी गई है। आपको याद दिला दें कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने आदेश जारी कर अपने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि वे उपराज्यपाल का आदेश सीधे नहीं मानें। बगैर मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री से इजाजत लिए बगैर किसी भी फाइल पर कोई जवाब राजनिवास को नहीं भेजेंगे।

    उपराज्यपाल ने उपमुख्यमंत्री के आदेशों को किया खारिज

    इसी प्रकार अन्य आदेश में उपमुख्यमंत्री ने आला अधिकारियों से लेकर कनिष्ठ अधिकारियों तक के तबादलों के अधिकार से संबंधित 21 साल पुराने आदेश को पलट कर उपराज्यपाल से सारे अधिकार छीन लिए। एक अन्य आदेश में सिसोदिया ने राजेन्द्र कुमार को अनिंदो मजूमदार की जगह सेवाएं विभाग का काम सौंप दिया तो अरविंद रे को सामान्य प्रशासन विभाग का प्रमुख सचिव नियुक्त कर दिया।

    उपराज्यपाल जंग ने बुधवार को अलग-अलग तीन पत्र भेजकर इन तमाम आदेशों को खारिज कर दिया और कहा कि जो स्थिति पहले थी, वही बनी रहेगी। बगैर उनकी इजाजत के सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों की कोई संवैधानिक मान्यता नहीं है।

    सिसोदिया ने उपराज्यपाल को भेजी चिट्ठी

    जवाब में दिल्ली सरकार की ओर से उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने उपराज्यपाल को एक पत्र भेजा कि आखिर वे किस नियम के तहत इन तमाम आदेशों को खारिज कर रहे हैं। बता दें कि जंग और केजरीवाल दोनों ने मंगलवार को राष्ट्रपति से मुलाकत की थी। इसके बाद दिल्ली सरकार के तेवर में नरमी दिख रही है तो उपराज्यपाल के तेवर और तीखे हैं। जंग ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात की है।

    सूत्रों की मानें तो उन्हें कहा गया है कि वे संवैधानिक व्यवस्था के तहत काम करते रहें क्योंकि स्थापित नियमों व परंपराओं की नई व्याख्या करने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती। जंग ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में उन्हें याद दिलाया कि वे राष्ट्रपति से प्राप्त शक्तियों के तहत तमाम काम करते हैं।

    मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी

    उप राज्यपाल नजीब जंग के साथ अधिकारों की लड़ाई में बुरी तरह उलझ गए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केंद्र सरकार को इसमें घसीटने की भरसक कोशिश कर रहे हैं। इसके तहत उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनकी सरकार पर उप राज्यपाल के मार्फत दिल्ली में शासन करने का आरोप लगा दिया। लेकिन केंद्र सरकार फिलहाल नजीब-केजरी जंग में फंसने के मूड में नहीं है।

    गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने दोनों को आपस में बातचीत कर विवाद सुलझाने की सलाह दी है। प्रधानमंत्री को केजरीवाल के पत्र के मजमून से साफ है कि वे पूरे विवाद का फलक बड़ा कर मोदी सरकार को इसमें घसीटना चाहते हैं। दरअसल दिल्ली के मुख्यमंत्री इस मामले में सीधे केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री को शामिल करना चाहते हैं। इसलिए वे लगातार इस मामले पर उप राज्यपाल के साथ ही केंद्र सरकार का नाम जोड़ना नहीं भूलते हैं।

    यहां तक कि नजीब जंग को लिखे अपने पहले पत्र में भी केजरीवाल ने उनसे दिल्ली सरकार को नाकाम करने की केंद्र की भाजपा सरकार की कोशिश में शामिल नहीं होने की अपील की थी।

    राजनाथ की नसीहत

    केजरीवाल की राजनीतिक चाल को भांप चुकी मोदी सरकार ने पूरे मामले में चुप्पी साध रखी है। केजरीवाल और जंग के अगले दिन राष्ट्रपति से मिलने पहुंचे राजनाथ सिंह ने इन मुद्दे पर किसी चर्चा से ही इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह मुलाकात काफी पहले से तय थी। लेकिन वे केजरीवाल को राजनीति छोड़कर विवाद सुलझाने की नसीहत देने से नहीं चूके। उन्होंने उम्मीद जताई कि उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री दोनों इस मामले को आपस में सुलझा लेंगे।

    अटार्नी जनरल से मशविरा

    वैसे गृह मंत्रालय को रोज नई नियुक्ति होने और उसके रद होने की स्थिति में संवैधानिक संकट खड़ा होने का डर भी सता रहा है। जाहिर है ऐसी स्थिति से निपटने के लिए कानूनविदों की राय भी ली जा रही है। बुधवार को अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी की राजनाथ सिंह की मुलाकात को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।

    उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, रोहतगी पहले ही अनौपचारिक तौर पर उपराज्यपाल के फैसलों को सही ठहरा चुके हैं। माना जा रहा है कि अब जल्द ही उनसे औपचारिक राय लेकर राष्ट्रपति को भेज दिया जाएगा। मंगलवार को केजरीवाल और जंग दोनों ही राष्ट्रपति से मुलाकात कर अपना-अपना पक्ष रख चुके हैं।

    ये भी पढ़ेंः केजरीवाल बनाम जंग: दोनों पक्षों की संवैधानिक स्थिति पर एक नजर

    ये भी पढ़ेंः 'अधिकारियों की छुट्टी के आवेदन हमें भेज दें टीवी चैनल'