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दिल्ली में जारी रहेगी जंग की हुकूमत

दिल्ली में सरकार बनाने या दोबारा चुनाव कराने के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को भी अपने पत्ते नहीं खोले। ऐसे संकेत हैं कि पार्टी इस मुद्दे पर आने वाले दिनों में कोई स्पष्ट निर्णय लेगी। जाहिर है कि इस मामले में कोई भी फैसला लिए जाने तक सूबे में उपराज्यपाल नजीब जंग की हुकूमत जारी रहेगी।

By Edited By: Published: Wed, 23 Jul 2014 08:52 AM (IST)Updated: Wed, 23 Jul 2014 08:53 AM (IST)
दिल्ली में जारी रहेगी जंग की हुकूमत

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में सरकार बनाने या दोबारा चुनाव कराने के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को भी अपने पत्ते नहीं खोले। ऐसे संकेत हैं कि पार्टी इस मुद्दे पर आने वाले दिनों में कोई स्पष्ट निर्णय लेगी। जाहिर है कि इस मामले में कोई भी फैसला लिए जाने तक सूबे में उपराज्यपाल नजीब जंग की हुकूमत जारी रहेगी।

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दिल्ली में भाजपा के सामने सरकार बनाने व चुनाव कराने के अलावा राष्ट्रपति शासन को जारी रखने का भी विकल्प है। दिल्ली की विशेष संवैधानिक स्थिति के मद्देनजर यहां पर राष्ट्रपति शासन पूरे एक साल के लिए लगाया जाता है। इसकी अवधि एक साल और बढ़ाई जा सकती है। ऐसे में फरवरी तक दिल्ली में राष्ट्रपति शासन रह सकता है। जाहिर है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के पास दिल्ली को लेकर फैसला करने के लिए पर्याप्त समय है। यह और बात है कि पार्टी फैसला लेने में इतनी देरी करेगी नहीं। पार्टी सूत्रों की मानें तो इस मुद्दे पर मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में भी विचार किया गया लेकिन कोई निर्णय नहीं लिया जा सका, क्योंकि चुनाव कराने या सरकार बनाने के मुद्दे पर एक राय नहीं बन पाई। दिल्ली से जुड़े नेताओं की मानें तो भाजपा का शीर्ष नेतृत्व जल्दी ही किसी निर्णय पर पहुंच जाएगा।

गौरतलब है कि कांग्रेस के छह विधायकों के सहयोग से सरकार बनाने की कवायद करीब डेढ़ महीने पहले शुरू हुई थी। बताते हैं कि इन विधायकों की मुलाकात भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं से भी हुई थी। लेकिन दिल्ली में मुख्यमंत्री पद को लेकर आपस में ही घमासान मच गया। पार्टी डेढ़ महीने तक तय नहीं कर पाई कि दिल्ली की कमान किसे सौंपी जाए। भाजपा के वे नेता जिन्हें पिछली विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिला या जो चुनाव हार गए, वे चाहते हैं कि किसी भी कीमत पर चुनाव करा दिए जाएं। ऐसे नेताओं की यह दलील है कि किसी भी प्रकार की जोड़तोड़ पूरे देश में भाजपा की छवि को नुकसान पहुचाएगी। खासकर महाराष्ट्र, हरियाणा आदि राज्यों में होने जा रहे चुनाव के मद्देनजर ऐसा करना ठीक नहीं होगा। दूसरी ओर, कुछ विधायकों का कहना है कि अभी-अभी चुनाव जीत कर वे आए हैं।

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