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    दिल्‍ली चुनाव : तीखी बयानबाजियों का दौर, अमर्यादित हुए आरोप-प्रत्‍यारोप

    By Sanjay BhardwajEdited By:
    Updated: Tue, 03 Feb 2015 11:43 AM (IST)

    दिल्‍ली में चुनावी सरगर्मी अपने चरम पर है और जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है तीनों प्रमुख दलों के बीच आरोप-प्रत्‍यारोप का दौर आपत्तिजनक, अमर्यादित और गाली-गलौच के स्‍तर तक उतर आई है। दिल्‍ली के चुनावी माहौल का दैनिक जागरण के राष्‍ट्रीय ब्‍यूरो प्रमुख राजकिशोर ने अपने स्‍तर

    नई दिल्ली। दिल्ली में चुनावी सरगर्मी अपने चरम पर है और जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है तीनों प्रमुख दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर आपत्तिजनक, अमर्यादित और गाली-गलौच के स्तर तक उतर आया है। दिल्ली के चुनावी माहौल का दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख राजकिशोर ने विश्लेषण किया है। आइए जानते हैं क्या है इनकी राय...

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    जब भी चुनाव नजदीकी होता है तो सभी पक्ष अपनी पूरी ताकत लगाते हैं, साम दाम दंड भेद इन सबका खुलकर प्रयोग होता है। दिल्ली में साफ-साफ दिखाई पड़ रहा है कि एक ओर तो वो पार्टी है जिसने केंद्र में हाल ही में सत्ता हासिल की है लेकिन दिल्ली की लड़ाई लड़ने में उसके पसीने छूट रहे है और दूसरी तरफ वो पार्टी है जिसने दिल्ली में 49 दिन सरकार चलाई और भगौड़े का आरोप उसका पीछा करता रहा है।

    मुख्य रूप दिल्ली में बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच लड़ाई है, कांग्रेस केवल लड़ती ही दिखाई दे रही है, लेकिन वो सत्ता की लड़ाई में कहीं नहीं है। आगे निकलने की होड़ में एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप बहुत व्यक्तिगत और निजी होते जा रहे हैं। आम आदमी पार्टी व्यक्तिगत आरोपों की बात कर रही है, लेकिन देखा जाए तो शुरुआत उनकी तरफ से ही की गई है।

    कांग्रेस और बीजेपी का कहना है कि राजनीति के स्तर को नीचे लाने में आप का बहुत बड़ा हाथ है। जबकि आप कहती है कि दोनों ही पार्टियां (कांग्रेस-बीजेपी) मिली हुई है और हम ही हैं जो आम आदमी की बात करते हैं। शायद ये बात पिछली बार लोगों के समझ में आई।

    अब जैसा कि क्रिकेट में होता है अंतिम ओवरों में केवल शॉट्स खेले जाते हैं, तकनीक पीछे चली जाती है। उसी तरह से यहां भी सारी मर्यादाएं भंग हो रही है।चाहे वो बीजेपी हो चाहे आम आदमी पार्टी, सभी को स्कोर बनाना है, इसलिए एक-दूसरे पर इस तरीके के आरोप-प्रत्यारोप लाजमी हैं।

    कुछ महत्वपूर्ण टिप्पणियां :

    -चुनाव प्रचार के शुरुआती दिनों में जब भाजपा सांसद साध्वी निरंजना ज्योति दिल्ली की सड़कों पर उतरीं तो उन्होंने 'रामजादों की सरकार और.. (गाली) की सरकार' वाली ऐसी टिप्पणी की जिसकी धमक संसद भवन तक सुनाई पड़ी।

    आप के काले चंदे को लेकर आवाम ने पेश किए सबूत

    -जब भाजपा ने किरण बेदी को अपना मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी चुना तो दिल्ली के ऑटो रिक्शाओं पर आनन-फानन में कुछ विज्ञापन लगाए गए जिसमें आप के नेता अरविंद केजरीवाल को ईमानदार और बेदी को अवसरवादी करार दिया गया था।

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    -हाल ही में आप नेता कुमार विश्वास ने किरण बेदी को लेकर बेहद अभद्र टिप्पणी की है। उन्होंने बेदी की तुलना जयचंद से करते हुए उन्हें गद्दार तक कह दिया था। इस मामले में मुकदमा तक दर्ज कराने की नौबत आ पहुंची थी।

    -इसी तरह आप ने दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय पर बिजली मीटर सप्लाई को लेकर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। लेकिन जब सबूत पेश करने की बारी आई तो आप पीछे हट गई।

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    आप के चुनावी चंदे को लेकर घमासान चरम पर