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    इसरो ने किया ज्यादा क्षमता वाले क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण

    By Rahul SharmaEdited By:
    Updated: Fri, 27 Jan 2017 10:20 PM (IST)

    'जीएसएलवी एमके 3' को अगली पीढ़ी का लांचर माना जा रहा है। इसकी क्षमता चार टन तक के वजन के साथ सेटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में पहुंचाने की है।

    इसरो ने किया ज्यादा क्षमता वाले क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण

    बेंगलुरु, प्रेट्र। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ज्यादा क्षमता वाले स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण किया है। रॉकेट 'जीएसएलवी एमके 3' की लांचिंग की दिशा में यह बड़ी उपलब्धि है। इस रॉकेट को इसी तिमाही में लांच किया जाना है।

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    'जीएसएलवी एमके 3' को अगली पीढ़ी का लांचर माना जा रहा है। इसकी क्षमता चार टन तक के वजन के साथ सेटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में पहुंचाने की है। रॉकेट लांचिंग के दौरान क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल बाद के चरणों में लांचर को अधिकतम वेग से धकेलने के लिए किया जाता है ताकि भारी वजन वाले सेटेलाइट को अंतरिक्ष की मनमाफिक कक्षा में पहुंचाया जा सके।

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    क्रायोजेनिक अपर स्टेज सी-25 इंजन का यह परीक्षण तमिलनाडु के महेंद्रगिरि स्थित इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में किया गया। यह परीक्षण 50 सेकेंड का था। इसके बाद 640 सेकेंड का दूसरा परीक्षण किया जाना है। सी-25 इसरो द्वारा बनाया गया सर्वाधिक क्षमता वाला अपर स्टेज इंजन है। इसमें ईधन के रूप में तरल ऑक्सीजन और तरल हाइड्रोजन का इस्तेमाल होता है।

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