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    शीतकालीन सत्र में पेश होगा उपभोक्ता संरक्षण संशोधन अधिनियम

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Tue, 14 Oct 2014 08:17 AM (IST)

    व्यापार के बदलते स्वरूप के चलते उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन होगा। इससे उपभोक्ताओं की शिकायतों का निपटारा महज तीस दिन में हो जाएगा। समझौते का भी प्रावधान शामिल किया जाएगा। इसके लिए केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण नियामक प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। संशोधन विधेयक संसद के शीतकालीन

    नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। व्यापार के बदलते स्वरूप के चलते उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन होगा। इससे उपभोक्ताओं की शिकायतों का निपटारा महज तीस दिन में हो जाएगा। समझौते का भी प्रावधान शामिल किया जाएगा। इसके लिए केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण नियामक प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। संशोधन विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। उपभोक्ता मंत्रालय ने इसकी तैयारियां पूरी कर ली हैं।

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    उपभोक्ता मामले व खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने उपभोक्ता संरक्षण नियामक प्राधिकरण के गठन का प्रस्ताव किया है। इससे उपभोक्ताओं को सेवाओं में गड़बड़ी करने वाली और घटिया उत्पाद बेचने वाली कंपनियों पर अंकुश लगेगा। साथ ही शिकायतों का निपटारा सीमित अवधि में हो जाएगा। उपभोक्ता फोरम अथवा अदालतों में जाने के बजाय पक्षकारों के साथ बैठकर समझौता कराने का विकल्प भी संशोधन के साथ शामिल किया जाएगा।

    पासवान ने कहा कि इसकी सख्त जरूरत महसूस की जा रही है। नए बाजार खुलने से उपभोक्ताओं के समक्ष बेहतर विकल्पों का दायरा बढ़ा है। लेकिन इसके साथ ही उपभोक्ताओं के हित संरक्षण की चुनौतियां भी बढ़ी हैं। ऑनलाइन खरीद करने वाले उपभोक्ताओं के हितों का भी उतना ही ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके लिए उपभोक्ता कानूनों को सख्त बनाने की जरूरत है।

    हालांकि, ऐसे उपभोक्ताओं की ओर से सरकार के पास शिकायतें अधिक नहीं आ रही हैं, फिर भी उनकी शिकायतों का निपटारा समय से और जल्दी होना चाहिए। सरकार इस दिशा में पहले ही उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में संशोधन की तैयारी में जुट गई है। अधिनियम के तहत एक नियामक प्राधिकरण की स्थापना की जाएगी, ताकि उपभोक्ताओं की शिकायतों को शीघ्र निपटाने में मदद मिल सके।

    पासवान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के 'मेक इन इंडिया' को देखते हुए बनाए जाने वाले उत्पादों की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। भारतीय मानक ब्यूरो के दायरे में पहले सिर्फ 102 वस्तुओं को रखा गया था। इसे अब बढ़ाकर 2,300 कर दिया गया है। ई-कॉमर्स को देखते हुए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की समीक्षा की जा रही है।

    कारोबार में धांधली और गड़बड़ी करने वालों पर अंकुश लगाने के लिए इस नियामक प्राधिकरण की जरूरत महसूस की जा रही है। प्राधिकरण के पास जांच के साथ कार्रवाई करने का अधिकार होगा। प्राधिकरण में लोगों को ऑनलाइन शिकायत करने और इनका निपटारा 30 दिन में करने का प्रावधान शामिल होगा।

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