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    बलूचिस्तान के मुद्दे पर कांग्रेस का यू-टर्न, PM के भाषण का किया समर्थन

    By Lalit RaiEdited By:
    Updated: Wed, 17 Aug 2016 06:56 PM (IST)

    बलूचिस्तान के मुद्दे पर पीएम की पहले आलोचना करने वाली कांग्रेस ने यू-टर्न ले लिया है। कांग्रेस ने कहा कि भारत को बलूचिस्तान पर बोलने का पूरा हक है।

    नई दिल्ली। लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने पाकिस्तान को साफ संदेश दिया कि आतंकवाद का महिमामंडन बंद होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस मुल्क को अपने यहां मानवाधिकारों की चिंता नहीं है, वो जब इस तरह की बात करता है तो खुद हंसी का पात्र बन जाता है। पीएम ने कहा कि बलूचिस्तान, पीओके, गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों से वो मिले नहीं हैं। लेकिन वहां के हालात से वाकिफ हैं। पीएम के इस बयान के बाद बलूचिस्तान से लेकर पीओके और गिलगित-बाल्टिस्तान के नेताओं ने भारत को शुक्रिया अदा किया और कहा कि उनकी उम्मीदें भारत पर टिकी हैं।

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    भारत की घरेलू राजनीति में पीएम के इस बयान पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आईं। लेकिन सरकार की धुरविरोधी कांग्रेस की प्रतिक्रिया गौर करने के लायक है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि बलूचिस्तान और कश्मीर का मामला एक जैसा नहीं है। भारत को बलूचिस्तान, पीओके और गिलगित-बाल्टिस्तान के मुद्दे को पाकिस्तान के द्विपक्षीय मंच के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उतारने की जरूरत है। जानकार इसे कांग्रेस की नीति में एक बड़ा परिवर्तन मान रहे हैं।

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    बलूचिस्तान के मुद्दे पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा था कि भारत को इस मुद्दे को नहीं उठाना चाहिए था। लेकिन उनके बयान के तत्काल बाद कांग्रेस ने उनसे किनारा कस लिया और कहा कि उनका वो व्यक्तिगत बयान था, पार्टी आधिकारिक तौर पर पीएम मोदी के बयान से सहमत है।

    एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक कांग्रेस को ये लगता है कि इस मुद्दे पर अगर वो सरकार की मुखालफत करती है तो मध्य वर्ग और युवाओं में गलत संदेश जाएगा। जिसका फायदा भाजपा उठा लेगी। कांग्रेस के रणनाीतिकारों का मानना है कि ये एक तरह से सिर्फ भाषण है जिसे कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर दिया गया है।

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    बलूचिस्तान के मुद्दे पर यूपीए शासन के दौरान मनमोहन सरकार की किरकिरी हो चुकी थी। शर्म-अल-शेख में भारत की तरफ से आधिकारिक तौर पर ये माना गया कि बलूचिस्तान में अशांति के पीछे भारत सरकार की भूमिका है। कांग्रेस के एक खेमे को लगता है कि अगर मोदी सरकार की रणनीति इस मुद्दे पर नाकाम होती है, तो कम से कम कांग्रेस सरकार से सवाल पूछने की भूमिका में रहेगी।

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