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कांग्रेस का हाथ जीएसटी बिल के साथ, अमित शाह ने कहा- नए युग की शुरूआत

जीएसटी संविधान संशोधन बिल पर कांग्रेस ने अपना समर्थन देकर इसे राज्यसभा में पास होने का रास्ता साफ कर दिया है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Wed, 03 Aug 2016 08:37 PM (IST)Updated: Wed, 03 Aug 2016 10:01 PM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस ने जीएसटी संविधान संशोधन बिल का समर्थन करते हुए इसे राज्यसभा से पारित कराने का रास्ता तो साफ कर दिया। मगर साथ ही पार्टी ने सरकार से दो टूक कहा है कि जीएसटी में टैक्स की दर 18 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए। कांग्रेस नेता पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने है कि देश की आम जनता पर ज्यादा परोक्ष कर का बोझ डालने की बजाय सरकार को प्रत्यक्ष कर के जरिए अपनी आमदनी बढ़ानी चाहिए।

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उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि यदि जीएसटी दर ज्यादा तय हुआ तो फिर इसके उलटे परिणाम होंगे और कांग्रेस इसका विरोध करेगी। चिदंबरम ने सरकार को यह नसीहत भी दी कि जीएसटी को लागू करने के लिए इसके बाद शीत सत्र में लाए जाने वाले दोनों विधेयकों में राज्यसभा की अनदेखी नहीं होनी चाहिए। इसलिए सरकार प्रस्तावित दोनों बिलों को मनी बिल के रुप में लाने की गलती न करे।

राज्यसभा में वित्तमंत्री अरुण जेटली के जीएसटी बिल पारित करने के लिए रखे गए प्रस्ताव पर चर्चा का आगाज करने के दौरान चिदंबरम ने कहा कि दुनिया भर में अप्रत्यक्ष कर को हमेशा ही ज्यादा कठोर माना जाता है। इसलिए यह जितना कम हो उतना बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी की दर क्या हो वास्तव में यही इस क्रांतिकारी कर सुधार की आत्मा है।

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आर्थिक सुधारों के नए युग की शुरुआत है जीएसटी बिल : शाह

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश भाजपा के प्रदेश परिषद सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि जीएसटी विधेयक पश्चिम बंगाल के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इसके पारित होने के साथ आर्थिक सुधारों के एक नए युग की शुरुआत होगी। देश के विकास में इसका महत्वपूर्ण योगदान होगा। भाजपा अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कई विदेश यात्राओं की विपक्षी दलों द्वारा आलोचना किए जाने पर कहा कि वास्तव में नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तुलना में कम विदेश यात्राएं की हैं। अंतर यह है कि किसी को मनमोहन सिंह की विदेश यात्रा के बारे में मालूम नहीं होता था।

दुनिया में जीएसटी की मानक दर 14.1 से 16.8 के बीच है। इससे साफ है कि जीएसटी में टैक्स रेट इसी के बीच रहने चाहिए ताकि लोगों पर ज्यादा बोझ न पड़े। चिदंबरम ने सरकार के आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रहमणयम की रिपोर्ट का हवाला देते हुए इस पर अमल करने की मांग की जिसमें जीएसटी को 18 फीसदी रखने का सुझाव दिया गया है। उन्होंने कहा कि टैक्स की दर इस दायरे में रहने पर केन्द्र और राज्य दोनों के राजस्व में कमी नहीं होगी तो लोगों पर भी बोझ नहीं पड़ेगा। लेकिन सरकार ने अगर दर 24से 24 प्रतिशत रखा तो फिर इसके नतीजे खराब होंगे।

मुद्रास्फीति बढ़ेगी और कांग्रेस इसके विरोध में आवाज उठाएगी क्योंकि ऐसे में जीएसटी को लाने का मकसद ही फेल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी से अगले 50 से 100 साल तक देश की दशा-दिशा तय होगी। इसलिए सरकार ने सहमति और संवाद का जो रास्ता इस बिल पर दिखाया है वही इससे संबंधित अगले दोनों बिलों पर दिखाए और उन्हें मनी बिल के रुप में लाकर केवल लोकसभा से पारित कराने की कोशिश न करे। राज्यसभा में अपनी नई पारी के पहले संबोधन में चिदंबरम ने जीएसटी पर कांग्रेस के अब तक के विरोध को सही साबित करने की कोशिश भी की।

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उन्होंने कहा कि कांग्रेस जीएसटी के खिलाफ नहीं थी बल्कि कुछ प्रावधानों को लेकर उसका एतराज था। सरकार ने जब राजनीतिक सहमति बनाकर इसमें बदलाव किया है तो पार्टी इसका समर्थन कर रही है। चिदंबरम ने कहा कि अभी भी मौजूदा बिल में कई खामियां है फिर भी हम समर्थन कर रहे हैं। उम्मीद है कि सरकार इससे संबंधित अगले दो बिलों में खामियां दूर कर लेगी।

उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि सरकार ने कांग्रेस की मांग पर एक फीसदी का अतिरिक्त ट्रांजेक्शन टैक्स लगाने के प्रस्ताव को वापस ले लिया। वहीं जीएसटी में विवाद के निपटारे को लेकर तंत्र बनाने पर सरकार के अस्पष्ट रुख पर भी चिदंबरम ने उसे नसीहत दी। उनका कहना था कि जीएसटी काउंसिल को विवाद निपटारे के लिए एक स्वतंत्र प्राधिकार बनाने का अधिकार दिया जाना जरूरी है।-


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