कांग्रेस ने राफेल विमान सौदे पर उठाए सवाल, भाजपा ने नकारे आरोप
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि संप्रग काल में किए गए सौदे में हर विमान का मूल्य 526.10 करोड़ आता, लेकिन अब हर विमान का मूल्य 1570.80 करोड़ रुपये आएगा।
नई दिल्ली, पीटीआइ। कांग्रेस ने मंगलवार को राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार 'क्रोनी कैपिटलिज्म' (सरकारी सांठगांठ वाले पूंजीवाद) को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय और सुरक्षा हितों से समझौता कर रही है। भाजपा ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआइपी हेलीकॉप्टर घोटाले में संभावित पूछताछ के डर से कांग्रेस लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है।
कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि संप्रग शासनकाल में 12 दिसंबर, 2012 को राफेल से 10.20 अरब अमेरिकी डॉलर (तब के 54 हजार करोड़ रुपये) में 126 लड़ाकू विमान खरीदने का फैसला लिया गया था। इनमें से 18 को तैयार स्थिति में और 108 को भारत में ही हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा तकनीक हस्तांतरण के साथ निर्मित किया जाना था।
लेकिन, मोदी सरकार ने 30 जुलाई, 2015 को यह सौदा रद कर दिया और अगले ही साल 26 सितंबर को 8.7 अरब अमेरिकी डॉलर में 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का सौदा किया। बाद में अनिल अंबानी की रिलांयस डिफेंस लिमिटेड ने राफेल की निर्माता कंपनी दासौत एविएशन के साथ भारत में रक्षा उत्पादन के लिए संयुक्त उपक्रम समझौता कर लिया।
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि संप्रग काल में किए गए सौदे में हर विमान का मूल्य 526.10 करोड़ आता, लेकिन अब हर विमान का मूल्य 1570.80 करोड़ रुपये आएगा। इससे सरकारी खजाने को काफी बड़ा नुकसान होगा। यही नहीं, फ्रेंच विमान निर्माता कंपनी ने तकनीक हस्तांतरण से भी इन्कार कर दिया और एचएएल के स्थान पर रिलायंस डिफेंस के साथ समझौता कर लिया। वहीं, रिलायंस डिफेंस लिमिटेड ने भी कांग्रेस के आरोपों को आधारहीन करार दिया है।

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