'आप' के कमजोर होने की आस में कांग्रेस
सूबे में आम आदमी पार्टी [आप] के कारण अपनी सत्ता गंवाने वाली कांग्रेस पार्टी को यकीन है कि आने वाले दिनों में अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली यह पार्टी कमजोर होगी और इसका उसे फायदा मिलेगा। आप विधायक दल में उठ रही विरोध की आवाज और शाजिया इल्मी जैसी नेताओं के अब भाजपा की तरफ झुकने को लेकर कहा जा रहा है कि पार्टी में बिखराव की रफ्तार अभी और बढ़ेगी। कम से कम दिल्ली के कांग्रेसी तो ऐसा जरूर मान रहे हैं।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। सूबे में आम आदमी पार्टी [आप] के कारण अपनी सत्ता गंवाने वाली कांग्रेस पार्टी को यकीन है कि आने वाले दिनों में अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली यह पार्टी कमजोर होगी और इसका उसे फायदा मिलेगा। आप विधायक दल में उठ रही विरोध की आवाज और शाजिया इल्मी जैसी नेताओं के अब भाजपा की तरफ झुकने को लेकर कहा जा रहा है कि पार्टी में बिखराव की रफ्तार अभी और बढ़ेगी। कम से कम दिल्ली के कांग्रेसी तो ऐसा जरूर मान रहे हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव में आप से मिली करारी पराजय के बारे में पूछने पर कांग्रेस के कई पूर्व विधायकों ने कहा कि सही बात तो यह है कि उस चुनाव में हमने यह सोचा ही नहीं था कि पहली बार चुनाव मैदान में उतरी यह पार्टी उन्हें हरा देगी। उनका यह भी कहना था कि हमने आप के प्रत्याशियों को तब गंभीरता से नहीं लिया था। कांग्रेस के ज्यादातर नेता अगले चुनाव की तैयारी में हैं और वह यह मानकर चल रहे हैं कि दिल्ली में अब सरकार के गठन की संभावना बिल्कुल नहीं है, अब तो नए सिरे से चुनाव कराया जाना ही एकमात्र विकल्प है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि दिल्ली की जनता के सामने भाजपा और आप दोनों की पोल-पट्टी खुल चुकी है। कांग्रेस को हटाकर दिल्ली के लोगों ने आप को मौका दिया। कायदे से उस सरकार को दिल्ली की जनता से किए गए अपने वादों को पूरा करने के लिए काम करना चाहिए था। कांग्रेस ने इसी वजह से समर्थन देकर उनकी सरकार भी बनवाई लेकिन महज 49 दिनों में जब आप के नेताओं को यकीन हो गया कि जनता से किए गए वादे वे पूरे नहीं कर पाएंगे, तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
लोकसभा चुनाव में लोगों ने भाजपा के पक्ष में भी जमकर मतदान किया लेकिन न महंगाई कम हुई, न बिजली के भारी-भरकम बिलों में कोई कमी आई, ऊपर से विकास के काम और ठप हो गए। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस के सत्ता से हटने के बाद दिल्ली में विकास कार्य नहीं हो रहे हैं। ऐसे में आने वाले चुनाव में दिल्ली की जनता एक बार फिर से कांग्रेस को चुनेगी।
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