चार जजों के नामों की सिफारिश कॉलेजियम को लौटाई
कॉलेजियम प्रणाली खत्म करने के लिए नया कानून लागू करने की अधिसूचना जारी करने के दिन ही सरकार ने मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालयों के चार अतिरिक्त न्यायाधीशों की नियुक्ति संबंधी प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले पैनल की सिफारिश को लौटा दिया।
नई दिल्ली। कॉलेजियम प्रणाली खत्म करने के लिए नया कानून लागू करने की अधिसूचना जारी करने के दिन ही सरकार ने मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालयों के चार अतिरिक्त न्यायाधीशों की नियुक्ति संबंधी प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले पैनल की सिफारिश को लौटा दिया।
कॉलेजियम ने मध्य प्रदेश के तीन और हिमाचल प्रदेश के एक न्यायाधीश के नाम की सिफारिश की थी। सूत्रों ने बताया कि सरकार ने 22 नामों को स्वीकार कर लिया जबकि चार को लौटा दिया। पुरानी कॉलेजियम प्रणाली के तहत सरकार द्वारा प्रस्ताव को पुनर्विचार के लिए लौटाए जाने के बाद अगर न्यायाधीशों का पैनल अपने फैसले पर कायम रहे तो सरकार को इसे स्वीकार करना पड़ता था।
किंतु अब अजीब स्थिति उत्पन्न हो गई है क्योंकि लौटाई गई सिफारिश किसी कॉलेजियम के पास नहीं जा सकती। सरकार द्वारा सोमवार को राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) कानून और उससे जुड़ा संविधान संशोधन कानून अधिसूचित करने के साथ ही कॉलेजियम प्रणाली खत्म हो गई। अब एनजेएसी के तहत नई संस्था के गठन के बाद नियुक्तियां होंगी।
कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति धीरेंद्र हीरालाल वाघेला को उड़ीसा उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाने की कॉलेजियम की एक अन्य सिफारिश को सरकार ने स्वीकार कर लिया। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पांच अतिरिक्त न्यायाधीशों को प्रोन्नत कर स्थायी न्यायाधीश बनाया गया। न्याय विभाग के डाटा के अनुसार 24 उच्च न्यायालयों के कुल जजों की स्वीकृत 998 की संख्या में से 358 रिक्त हैं।
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