जलवायु परिवर्तन से घटेगी गेहूं की पैदावार
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जरूरी कदम न उठाए गए तो अगले कुछ दशकों में वैश्विक गेहूं उत्पादन में कम से कम एक चौथाई की कमी आएगी। एक भारतीय समेत शोधकर्ताओं की टीम ने यह चेतावनी दी है।
वाशिंगटन। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जरूरी कदम न उठाए गए तो अगले कुछ दशकों में वैश्विक गेहूं उत्पादन में कम से कम एक चौथाई की कमी आएगी। एक भारतीय समेत शोधकर्ताओं की टीम ने यह चेतावनी दी है।
इनका कहना है कि यदि मौसम में आ रहे उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए उपाय नहीं किए गए तो तापमान में प्रति डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी पर गेहूं उत्पादन में छह प्रतिशत की कमी आएगी। क्रॉप इकोफिजियोलॉजी के प्रोफेसर और कंसास स्टेट यूनिवर्सिटी में डॉयरेक्टर वारा प्रसाद से जुड़ी टीम ने यह निष्कर्ष अपने हालिया शोध में निकाला है।
प्रसाद और उनके सहयोगियों का कहना है कि आधार वर्ष 2012-13 में दुनिया भर में कुल 7001 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ था। इस दौरान अगर तापमान में बढ़ोतरी हुई होती तो उत्पादन में
करीब 420 लाख टन कमी दर्ज होती यानी उक्त वर्ष के कुल गेहूं उत्पादन में एक चौथाई की कमी होती। प्रसाद ने कहा, यह बहुत गंभीर है। गेहूं उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन का असर हमारी सोच से ज्यादा पड़ रहा है। यह चुनौतीपूर्ण है, हमें अगले तीस सालों में पैदावार दोगुना करनी है। क्योंकि हमें करीब 9.6 अरब लोगों को भोजन उपलब्ध कराना होगा। यह अध्ययन नेचर क्लाइमेट चेंज पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
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