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    बदलाव से बढ़ा पढ़ाई का प्रेशर

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    Updated: Wed, 21 May 2014 03:51 PM (IST)

    हर दो माह में नया बदलाव, कभी परीक्षा तो कभी नए टेस्ट को लाकर। कुछ नहीं तो पाठ्यक्रम और नए नियम बनाकर। सीबीएसई में कुछ ऐसा ही चल रहा है। समग्र मूल्यांकन पद्धति भले ही बोर्ड को अच्छी लग रही हो। लेकिन बदलाव की आंधी से पढ़ाई का प्रेशर बढ़ गया है।

    आगरा। हर दो माह में नया बदलाव, कभी परीक्षा तो कभी नए टेस्ट को लाकर। कुछ नहीं तो पाठ्यक्रम और नए नियम बनाकर। सीबीएसई में कुछ ऐसा ही चल रहा है। समग्र मूल्यांकन पद्धति भले ही बोर्ड को अच्छी लग रही हो। लेकिन बदलाव की आंधी से पढ़ाई का प्रेशर बढ़ गया है। इससे कोर्स से बाहर की पुस्तकों को पढ़ने का वक्त नहीं मिलता है।

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    सेंट एंड्रूज पब्लिक स्कूल के छात्र यश अग्रवाल को ग्रेडिंग सिस्टम पसंद नहीं आया है। यश का कहना है कि ए-1 श्रेणी में 92 और 99 फीसद अंक लाने वाले छात्र-छात्राओं को जोड़ जाता है। जबकि, इनके बीच 7 फीसद का अंतर होता है। ऐसे में ग्रेडिंग सिस्टम से सिवाय निराशा के कुछ और हाथ नहीं लगा है। कुछ ऐसा ही कहना है छात्र नीतेश अग्रवाल का।

    नीतेश का कहना है कि पाठ्यक्रम में बदलाव से छात्र-छात्राओं पर पढ़ाई का प्रेशर बढ़ा है। खासकर सब्मेटिव असेसमेंट में बदलाव से छात्रों को झटका लगा है।

    यूं करें पढ़ाई

    -हर दिन क्लास अटेंड करना जरूरी है।

    -स्कूल या फिर कोचिंग में जो भी चैप्टर पढ़ाए जाते हैं, 30 घंटे के भीतर उनका रिवीजन करना चाहिए।

    -हर चैप्टर के चार्ट नोट्स तैयार करते रहना चाहिए और दस दिन के भीतर एक बार रिवीजन करना चाहिए।

    -जिस विषय में कमजोर हैं, उस पर खास ध्यान देना चाहिए। पढ़ाई में समय सारिणी का विशेष महत्व है।

    - विषय पर कितनी पकड़ है, इसका आकलन खुद ही करते रहना चाहिए।

    - ग्रुप स्टडी के कई फायदे हैं, इससे परीक्षा की तैयारी अच्छी तरीके से हो जाती है। बोर्ड लगातार बदलाव कर रहा है, इसके कुछ फायदे तो कुछ नुकसान हैं। लेकिन अधिकांश मामलों में फायदे ज्यादा सामने आए हैं। पर ग्रेडिंग सिस्टम में थोड़ा बदलाव होना चाहिए।

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