अपनों का भी सगा नहीं है संवेदनहीन पाकिस्तान
जम्मू [विवेक सिंह]। जिंदगी के अंतिम पड़ाव में अपने ही देश से धोखा खाकर अस्सी वर्षीय नजीर अब टूट गए हैं। जिस पाकिस्तान के जिंदाबाद के नारे वह ताउम्र लगा ...और पढ़ें

जम्मू [विवेक सिंह]। जिंदगी के अंतिम पड़ाव में अपने ही देश से धोखा खाकर अस्सी वर्षीय नजीर अब टूट गए हैं। जिस पाकिस्तान के जिंदाबाद के नारे वह ताउम्र लगाते रहे, आज वही उनको दगा दे गया। जिसे दुश्मन समझा उस देश का सीमा सुरक्षा बल हमदम बनकर उनको अपने बाल-बच्चों के बीच भेजने का हरसंभव प्रयास कर रहा है।
आठ अक्टूबर को गलती से सीमा पार कर भारतीय क्षेत्र में आए मुहम्मद नजीर की हालत देखकर किसी का भी दिल पसीज जाएगा, लेकिन सीमा सुरक्षा बल के जवानों की काफी कोशिशों के बाद भी पाकिस्तानी रेंजर्स अपने बुजुर्ग को लेने को राजी नहीं है। बीएसएफ उनसे वैसा ही सुलूक कर रहा है जैसा किसी बीमार बुजुर्ग से करना चाहिए। उन्हें चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई है।
पाकिस्तान के इस अप्रत्याशित रवैये से मुहम्मद नजीर को गहरा आघात लगा है। न तो उन्हें सही सुनाई देता है, न दिखाई देता है। अब उनकी ख्वाहिश यही है कि किसी भी तरह उन्हें अपने बेटे हमीद व रफीक के पास भेजा जाए। अलबत्ता, पाकिस्तान रेंजर्स के रवैये के बारे में उनका कहना है कि अगर वे मुझे वापस ले लेंगे तो उनकी बड़ी मेहरबानी होगी।
लाहौर के सांधे इलाके के रहने वाले मुहम्मद नजीर पुत्र फतेह दीन सियालकोट के जलाल हकीम के पास दवा लेने के लिए आए थे। वापसी में रास्ता भटककर वह आठ अक्टूबर दिन ग्यारह बजे आरएसपुरा में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर आ गए थे, जब चेतावनी के बाद भी वह आगे बढ़ते रहे तो सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने संयम बरतते हुए उन्हें पकड़ लिया। उनके पास से अपने पहचान पत्रों के साथ पोतों के पहचान पत्र भी मिले थे। आठ अक्टूबर के बाद डाक की अदला बदली के दौरान सीमा सुरक्षा बल ने वापसी का मुद्दा लगातार उठाया है।
जम्मू के सेक्टर कमांडर डीआइजी बीएस कसाना का कहना है कि बुजुर्ग बेगुनाह है, इसकी पुष्टि जांच से हुई है। वह गलती से सीमा पार आ गया था। हमने बीमार बुजुर्ग को लौटाने का मुद्दा कई बार पाकिस्तान रेंजर्स से उठाया, लेकिन उन्होंने इन्कार कर दिया। अब मजबूर होकर हमें इस बुजुर्ग को पुलिस को सौंपना होगा।

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