..सुदामा में 'शाही बरात', कार से ही लाए दिलवाले दुल्हनिया
सुदामा गांव में हर कोई सोमवार को इठला रहा था। एक अनुसूचित जाति के परिवार की बेटियों को ब्याहकर लाने के लिए कुबेर का खजाना खोलकर खर्च किया जा रहा था। गांव की गलियां सजी-धजी थीं। बरात के आगे चलने के लिए हाथी आए, तो डांस को घोड़े। दूल्हों के हेलीकॉप्टर से उतरने पर हर कोई स्वागत करना चाहता था। किसान विक्रम की मेहंदी लगा

मथुरा। सुदामा गांव में हर कोई सोमवार को इठला रहा था। एक अनुसूचित जाति के परिवार की बेटियों को ब्याहकर लाने के लिए कुबेर का खजाना खोलकर खर्च किया जा रहा था। गांव की गलियां सजी-धजी थीं। बरात के आगे चलने के लिए हाथी आए, तो डांस को घोड़े। दूल्हों के हेलीकॉप्टर से उतरने पर हर कोई स्वागत करना चाहता था। किसान विक्रम की मेहंदी लगाकर बैठी दोनों बेटियों से सहेलियां चुहलबाजी कर रही थीं। दूल्हों के गांव नरहौली में भी बरात के लिए शाही अंदाज वाली तैयारियां थीं। अचानक मौसम की नजर टेढ़ी हुई और हेलीकॉप्टर नहीं उतर सका। आखिर दूल्हों को कार से ले जाना पड़ा।
नरहौली में भगवान दास नेताजी के घर की रौनक पूरे गांव को चमत्कृत कर रही थी। हर घर में एक ही बात कि नेताजी के लड़के हेलीकॉप्टर से दुल्हन लेने जा रहे हैं। गांव के ओमप्रकाश तो दोपहर दो बजे ही सज-धजकर बरात में जाने को तैयार हो गए। कुछ देर बाद धीरज भी पहुंच गया। कुछ देर बात तो हर कोई यह कहने लगा कि कित्ते बजे चलनो है।
नहरौली से लगभग चालीस किलोमीटर दूर नगला सुदामा में नेताजी के शाही बरात के मेहमान दोपहर पहुंच गए। नेताजी कभी दूल्हों के हेलीकॉप्टर को बतियाते नजर आते तो कभी बरातियों के आने वाली बसों और कारों के बारे में पूछते। उनके दिलवाले लाड़ले दिलीप सिंह और नाहर सिंह भी दुल्हनियां लाने के लिए दोस्तों के साथ तैयारी में जुटे थे। शाम ढलने से पहले बस ग्यारह बसें और इतनी ही कारें कतारबद्ध खड़ी हो गईं। बरातियों ने बसों में अपनी-अपनी सीट कब्जाईं तो थोड़े खास मेहमान कार में सवार होकर निकले। दूल्हों को अक्षय पात्र परिसर से हेलीकॉप्टर में सवार होना था, सो दोनों भाई कारों से वहां रवाना हो गए। आखिरी वक्त पर पता चला कि दिल्ली में मौसम की खराबी की वजह से हेलीकॉप्टर नहीं उतर सकेगा। इससे निराश शाही बरात के दूल्हे कार से ही दुल्हनों को लेने रवाना हुए।
चकाचौंध से इठलाया नगला सुदामा
कृष्ण के सखा सुदामा से नगला सुदामा का कोई सीधा नाता नहीं है लेकिन गांव में बहुतों की आर्थिक स्थिति जरूर उससे ही मेल खाती है। गांव में बरात पहुंचने से पहले गलियों में चूना डाला गया था तो कई जगह थोड़ी सी बंदनवार से सजावट हुई। हालांकि लड़की के पिता विक्रम सिंह का घर उनकी साधारण हैसियत की कहानी कह रहा था। विवाह स्थल पर दो पंडाल लगाए गए, जिनमें बारातियों की दावत की जानी थी। दावत स्थानीय हलवाई ही तैयार कर रहे थे, जिसमें गांव की साधारण बरात जैसा ही मेन्यू था। हालांकि बरात की चढ़त के लिए दो हाथी और चार बैंड पहले ही पहुंच चुके थे। यही नहीं डीजे व रसिया पार्टी शाम को पहुंचे। कारों और बसों से बरात पहुंचते ही रौनक बढ़ गई। स्वागत सत्कार शुरू हो गया। तभी खबर आई कि दूल्हे भी कार से आ रहे हैं। हेलीकॉप्टर न आने से परिवार और गांव वाले थोड़ी देर के लिए निराश हो गए। इसके बाद आधी रात तक चढ़त तो शुरू न हुई थी लेकिन बैंडों की गूंज जरूर शुरू हो गई थी। चकाचौंध करने वाली रोशनी के साथ डांस के दौरान चार सफेद रंग की घोड़ियां आकर्षण का केंद्र बनी हुई थीं। वहां हंसकार और बग्गी भी तैयार खड़ी थी। कुछ बराती बीच में आकर डांस का मूड बनाने चले जाते थे। दुल्हनों को भी जयमाला के लिए तैयार किया जा रहा था। घर महिलाओं के मंगलगान चल रहे थे। वैसे सबके दिल में मौसम ने टीस दी थी, जिसकी वजह से हेलीकॉप्टर लैंडिंग नहीं कर सके।

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