विदेश में काला धन रखने वालों पर कसेगा शिकंजा, लोकसभा में बिल पास
विदेशी बैंकों में गैरकानूनी तरीके से काला धन रखने वालों को सरकार टैक्स और अर्थ दंड की अदायगी कर उस राशि को वापस स्वदेश लाने का एक मौका देगी। लेकिन काले धन के कारोबारी अगर इस स्कीम का फायदा नहीं उठाते हैं तो बाद में उन्हें न सिर्फ भारी भरकम
नई दिल्ली । विदेशी बैंकों में गैरकानूनी तरीके से काला धन रखने वालों को सरकार टैक्स और अर्थ दंड की अदायगी कर उस राशि को वापस स्वदेश लाने का एक मौका देगी। लेकिन काले धन के कारोबारी अगर इस स्कीम का फायदा नहीं उठाते हैं तो बाद में उन्हें न सिर्फ भारी भरकम जुर्माना देना पड़ेगा बल्कि 10 वर्ष तक जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। इन प्रावधानों वाले अघोषित विदेशी आय व परिसंपत्ति (कराधान) विधेयक, 2015 को सोमवार को विपक्ष की कड़ी आपत्तियों के बावजूद सरकार लोकसभा में पारित कराने में सफल रही।
विपक्ष का भी साथ मिला
विधेयक को पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि यह प्रावधान उन सभी पर लागू होगा जो देश की एजेंसियों से छिपा कर पैसा बाहर रखते हैं। इस तरह के काले धन को स्वदेश लाने का सरकार एक मौका देगी। एक निश्चित समय-सीमा के लिए यह स्कीम लाई जाएगी और इसके तहत विदेशों में जमा अघोषित काले धन को स्वदेश लाने पर 30 फीसद का टैक्स और 30 फीसद का अर्थदंड देना होगा। इसके बाद वह भारत में होने वाली कार्रवाई से बच जाएगा।
हालांकि वित्त मंत्री का कहना है कि यह एमनेस्टी स्कीम नहीं होगी क्योंकि जुर्माना लगाया जा रहा है। लेकिन इस अवधि के समाप्त होने के बाद अगर किसी भी व्यक्ति के विदेशों में काला धन रखने की बात सामने आती है तो उसे 30 फीसद टैक्स के अलावा 90 फीसद का जुर्माना देना होगा। साथ ही उसे दस वर्ष तक के लिए जेल की सजा भी भुगतनी पड़ सकती है। दोषी व्यक्ति की भारत स्थित परिसंपत्तियों को जब्त करने का अधिकार भी जांच एजेंसियों को मिल जाएगा। विदेशों में जमा धन पर रिटर्न जमा नहीं करने वालों को दस लाख रुपये तक का जुर्माना देने का प्रावधान भी इसमें है।
देश के काले धन पर अलग कानून :
जेटली ने कहा कि यह कानून देश में काला धन रखने वालों पर नकेल नहीं लगाएगा। इसके लिए सरकार अलग से कानून बनाएगी। उन्होंने कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों पर निशाना साधा कि हमसे लगातार सवाल पूछा जा रहा है कि एक वर्ष में काले धन पर नकेल कसने के लिए हमने क्या किया लेकिन जब हम इसके लिए कदम उठाते हैं तो विरोध किया जाता है। दरअसल, कांग्रेस की मंशा थी कि इस विधेयक को वित्त मंत्रालय की स्थाई समिति को भेजा जाए। जबकि जेटली का तर्क था कि देरी होने पर काला धन रखने वाले अपनी राशि एक देश से दूसरे देश स्थानांतरित कर सकते हैं। देरी होने पर सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान कर संग्रह की जो योजना बनाई है वह भी प्रभावित हो सकती है।
विधेयक में कुछ नया नहीं : कांग्रेस
कांग्रेस के सांसद दीपेंद्र हुडा ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस विधेयक के जरिए कुछ नया नहीं कर रही। मौजूदा आयकर अधिनियम में भी यह प्रावधान है कि विदेशों में काला धन रखने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी, 30 फीसद का टैक्स लगेगा और सात वर्ष तक की कैद होगी। उन्होंने काले धन पर यूपीए के कार्यकाल में गठित तीन संस्थानों की रिपोर्ट को भी सार्वजनिक करने का आग्रह वित्त मंत्री से किया। हुडा ने एमनेस्टी स्कीम की खामियां गिनाते हुए कहा कि इससे बेनामी धन को सफेद बनाया जाता है।
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