Move to Jagran APP

पीएम मोदी ने कहा, युवाओं के समर्थन से देश में बदलाव लाना संभव

स्‍वामी विवेकानंद की जयंती को मध्‍यप्रदेश में बतौर युवा दिवस मनाया जा रहा है।

By Monika minalEdited By: Published: Thu, 12 Jan 2017 09:38 AM (IST)Updated: Thu, 12 Jan 2017 07:15 PM (IST)
पीएम मोदी ने कहा, युवाओं के समर्थन से देश में बदलाव लाना संभव
स्‍वामी विवेकानंद की 154वीं जयंती (12 जनवरी 1863- चार जुलाई 1902)

नई दिल्ली, जेएनएन। रोहतक में आयोजित 21वें नेशनल यूथ फेस्टिव को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में युवाओं की तरफ से मिले समर्थन के बाद मुझे इस बात का विश्वास हुआ है कि राष्ट्र को सही दिशा में ले जाना संभव है।

loksabha election banner

पीएम ने युवाओं से कहा कि कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा देने की दिशा में अपने आसपास को लोगों का मार्गदर्शन करें क्योंकि भ्रष्टाचार और काला धन देश की तरक्की पर बुरा असर डाल रहे हैं।

मोदी ने कहा कि युवाओं से सृजनात्मकता और नए खोज की उम्मीद की जाती है। उन्होंने कहा कि समय अब बदल चुका है और ऐसा तकनीक के प्रभाव के चलते मुमकिन हो पाया है। इस समय की सबसे बड़ी मांग संपर्क है।

उधर, मध्य प्रदेश में गुरुवार को स्वामी विवेकानन्द की जयंती के अवसर पर मनाए जा रहे युवा दिवस के तहत प्रदेश की सभी शिक्षण संस्थाओं में सामूहिक सूर्य नमस्कार का आयोजन किया गया। सभी स्कूलों, महाविद्यालयों और ग्राम पंचायतों में आज सुबह 9 बजे से सामूहिक रूप से सूर्य नमस्कार का आयोजन किया गया।

मनाया जा रहा युवा दिवस

भाेेपाल में इस अवसर पर सामूहिक योग सेशन आयोजित किया गया है जिसमें राज्य मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी सूर्य नमस्कार किया।

Mass 'Surya Namaskar' session in Bhopal, Chief Minister Shivraj Singh Chouhan attends. pic.twitter.com/GiIItsB2BV

— ANI (@ANI_news) January 12, 2017

युवा दिवस के अवसर पर स्वामी विवेकानंद के जीवन पर आधारित प्रेरणादायक शैक्षिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसमें भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को सुबह 9 बजे उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है। जिलों में इस आयोजन के लिये जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है।

छत्तीसगढ़ में योग कमिशन का गठन

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमण सिंह ने युवा दिवस के अवसर पर राज्य योग कमिशन के गठन का आदेश दे दिया है जो 1 अप्रैल 2017 से काम करना शुरू करेगी।

कम उम्र में ही मनवाया ज्ञान का लोहा

स्वामी विवेकानंद बहुत कम उम्र में अपने ज्ञान का लोहा पूरी दुनिया में मनवा चुके थे। 12 जनवरी 1863 को जन्मे इस तेजस्वी सन्यासी ने अपनी प्रखर चेतना से समूचे विश्व को बताया कि भारत क्यों विश्व गुरु है।

शिकागो में यादगार भाषण

अमेरिका के शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म संसद में दुनिया के सभी धर्मों के प्रतिनिधियों के बीच सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वामीजी के यादगार भाषण ने भारत की अतुल्य विरासत और ज्ञान का डंका बजा दिया। आज अधिकांश लोग यह तो जानते हैं कि उन्होंने अपना भाषण 'बहनों और भाइयों?" के संबोधन से शुरू कर सबको भारत की 'वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से अवगत करवाया था।

ऐतिहासिक भाषण में सीख भरी बातें

प्रिय बहनो और भाइयो!

आपके इस स्नेहपूर्ण और जोरदार स्वागत से मेरा हृदय अपार हर्ष से भर गया है। मैं आपको दुनिया की सबसे प्राचीन संत परंपरा की ओर से धन्यवाद देता हूं। मैं आपको सभी धर्मों की जननी की तरफ से धन्यवाद देता हूं और सभी जाति, संप्रदाय के लाखों, करोड़ों हिंदुओं की तरफ से आपका आभार व्यक्त करता हूं।

मेरा धन्यवाद कुछ उन वक्ताओं को भी है, जिन्होंने इस मंच से यह कहा कि दुनिया में सहनशीलता का विचार सुदूर पूरब के देश भारत से फैला है। मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं, जिसने दुनिया को सहनशीलता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही विश्वास नहीं रखते, बल्कि हम विश्व के सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं। मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे देश से हूं, जिसने इस धरती के सभी देशों और धर्मों के परेशान और सताए गए लोगों को शरण दी है।

मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि हमने अपने हृदय में उन इजराइलियों की पवित्र स्मृतियां संजोकर रखी हैं, जिनके धर्म स्थलों को रोमन हमलावरों ने तोड़-तोड़कर खंडहर बना दिया था और तब उन्होंने दक्षिण भारत में शरण ली थी। मुझे इस बात का गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं, जिसने महान पारसी धर्म के लोगों को शरण दी और अभी भी उन्हें पाल-पोस रहा है। भाइयों, मैं आपको एक श्लोक की कुछ पंक्तियां सुनाना चाहूंगा, जिन्हें मैंने बचपन से स्मरण किया और दोहराया है और जो रोज करोड़ों लोगों द्वारा प्रतिदिन दोहराया जाता है।

रुचीनां वैचित्र्यादृजुकुटिलनानापथजुषाम्। नृणामेको गम्यस्त्वमसि पयसामर्णव इव।।

अर्थात : जिस तरह अलग-अलग स्रोतों से निकली विभिन्न नदियां अंत में समुद्र में जाकर मिलती हैं, उसी तरह मनुष्य अपनी इच्छा के अनुरूप अलग-अलग मार्ग चुनता है। वे देखने में भले ही सीधे या टेढ़े-मेढ़े लगें, पर सभी भगवान तक ही जाते हैं। वर्तमान सम्मेलन, जो कि आज तक की सबसे पवित्र सभाओं में से है, गीता में बताए गए इस सिद्धांत का प्रमाण है कि 'जो भी मुझ तक आता है, चाहे वह कैसा भी हो, मैं उस तक पहुंचता हूं। लोग चाहे कोई भी रास्ता चुनें, आखिर में मुझ तक ही पहुंचते हैं।‘

सांप्रदायिकताएं, कट्टरताएं, हठधर्मिता और इसके भयानक वंशज लंबे समय से पृथ्वी को अपने शिकंजों में जकड़े हुए हैं। इन्होंने पृथ्वी को हिंसा से भर दिया है। कितनी बार ही यह धरती खून से लाल हुई है। कितनी ही सभ्यताओं का विनाश हुआ है और न जाने कितने देश नष्ट हुए हैं।

अगर ये भयानक राक्षस नहीं होते तो आज मानव समाज कहीं ज्यादा उन्न्त होता, लेकिन अब उनका समय पूरा हो चुका है। मुझे पूरी उम्मीद है कि आज इस सम्मेलन का शंखनाद सभी हठधर्मिताओं, हर तरह के क्लेश, चाहे वे तलवार से हों या कलम से और सभी मनुष्यों के बीच की दुर्भावनाओं का विनाश करेगा।

युवा सप्ताह के रूप मनेगी स्वामी विवेकानंद की जयंती

स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा के समक्ष जलाए दीप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.