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    अवैध बांग्लादेशियों पर असम सरकार का एक्शन, पहले गिरफ्तार किया अब भेजा नो मेंस लैंड; जानिए वजह

    Updated: Sat, 31 May 2025 05:54 PM (IST)

    असम सरकार ने अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ सख्त कदम उठाया है। विदेशी ट्रिब्यूनल द्वारा अवैध घोषित किए गए लोगों को चिह्नित करके भारत-बांग्लादेश सीमा पर ...और पढ़ें

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    अवैध बांग्लादेशियों पर असम सरकार का एक्शन। (फोटो- जागरण ग्राफिक्स)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में अवैध बांग्लादेशियों का मुद्दा काफी समय से उठता आ रहा है। इस बीच पूर्वोत्तर राज्य असम की बीजेपी सरकार ने अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार ऐसे लोगों को ढूंढ रही है, जिन्हें विदेशी ट्रिब्यूनल ने अवैध घोषित किया है।

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    राज्य की हिमंत सरकार विदेशी ट्रिब्यूनल ने अवैध घोषित कम से कम 49 लोगों को नो मैंस लैंड भेज दिया है। बता दें कि भारत और बांग्लादेश के बीच की सीमा को नो मैंस लैंड कहा जाता है। 

    जानकारी के अनुसार, 27 और 29 मई को पश्चिमी और दक्षिणी असम से कम से कम 49 घोषित विदेशी नागरिकों को नो मैंस लैंड भेजा गया है।

    सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

    राज्य सरकार के इस कड़े एक्शन के बाद असम के कुछ इलाकों में हड़कंप मच गया है। टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटया है और इस एक्शन पर रोक लगाने की मांग की है। इस याचिका में उन्होंने अपने परिवार का पता लगाने के बारे में मांग की है।

    याचिकाकर्ताओं ने शक जताया है कि उनके घरवालों को भी वापस भेज दिया है। इन लोगों ने कोर्ट से इस अभियान पर रोक लगाने की मांग की है।

    राज्य के सीएम ने क्या कहा?

    बता दें कि राज्य के सीएम हिमंत सरमना ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि अब ट्रिब्यूनलों द्वारा विदेशी नागरिक घोषित किए गए 30,000 लो गायब हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि अभी एनआरसी अपडेट प्रक्रिया रुकी हुई है। अब इसको तेज करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि जैसे ही हमें कोई विदेशी मिलता है हम कानून के अनुसार कार्रवाई करेंगे।

    आने वाले समय में होंगी कई 'पुश बैक' कार्रवाई

    असम के सीएम हिमंत सरमा ने बताया कि आने वाले दिनों में इस प्रकार कि कई पुश बैक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि कोई भी घोषित विदेशी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है। यदि किसी ने अपील नहीं की है तो उसका भारत में रहने का अधिकार समाप्त हो जाता है। लेकिन यदि वह दिखा दे कि उसने अपील की है तो राज्य सरकार उसको नहीं छेड़ती।

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