घुसपैठ की संख्या पर सेना और खुफिया एजेंसियों में मतभेद
घाटी में अप्रैल महीने में घुसपैठ की संख्या को लेकर सेना और खुफिया एजेंसी में मतभेद है। सेना का कहना है कि घुसपैठ के 10 मामले थे। जबकि खुफिया एजेंसी इसे 18 बता रही हैं।
नई दिल्ली (पीटीआई)। अप्रैल के महीने में पाकिस्तान से 18 घुसपैठिये लाइन ऑफ कंट्रोल पार कर जम्मू-कश्मीर में दाखिल हुए थे। जिनमें से 3 घुसपैठियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया है। हालांकि घुसपैठियों की संख्या को लेकर सेना और दूसरी खुफिया एजेंसियों में मतभेद है। सेना का कहना है कि घुसपैठिए 18 नहीं बल्कि 10 थे। हालांकि सेना के दावे पर सेना की टेक्निकल और दूसरी एजेंसियों ने सवाल उठाए हैं।
कच्छ में घुसपैठ के प्रयास में तीन गिरफ्तार
बताया जा रहा है कि को 12 आतंकियों का दल एलओसी के करीब दर्दापोरा गांव की तरफ से दाखिल हुआ था। और 6 आतंकियों का एक दल 17 अप्रैल 2016 को लोलाब की तरफ से दाखिल हुआ। हालांकि सेना कहा कहना कि 10 घुसपैठियों में से तीन को 21 अप्रैल 2016 को कुपवाड़ा के लोलाब में मार गिराया गया था।
घुसपैठ को नाकाम करने के लिए केंद्र की रणनीति
सेना ने अपने दावे में कहा कि रेडियो सिग्नल और फुट प्रिंट के जरिए ये साफ हो रहा है कि आतंकियों की संख्या महज 10 थी। हालांकि सभी खुफिया एजेंसी इस बात पर सहमत हैं कि जम्मू की तरफ से घुसपैठ की तीन कोशिशों को नाकाम कर दिया गया। घुसपैठ की बढ़ती संख्या पर सेना ने ये तर्क दिया कि सैन्य टुकड़ियों को अलग अलग इलाकों में भेजे जाने की वजह से घुसपैठ की संख्या में थोड़ी बढ़ोतरी हुई।
सूत्रों का कहना है कि जिन आतंकियों ने घुसपैठ की थी। वो बांदीपोरा के ऊपरी इलाकों में दाखिल हो गए थे। और बाद में सेंट्रल और साउथ कश्मीर में दाखिल हो गए। बांदीपोरा से कांग्रेस एमएलए उस्मान माजिद ने बताया कि वो सेना और दूसरी एजेंसियों को इत्तला करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि आतंकी अक्सर बाल्टीपोरा के जरिए घाटी में दाखिल होते हैं।
ठंड के समय में घुसपैठ की संख्या में कमी आ जाती है। लेकिन इस बार ठंड कम पड़ने की वजह से घुसपैठ हुई। 2015 में घुसपैठ को 121 कोशिश की गई जिसमें 33 सफल रहीं। जबकि 2014 में घुसपैठ के 222 मामलों में 65 सफल रहे। 2015 में सुरक्षाबलों को 46 आतंकियों को मारने में कामयाबी मिली थी। जबकि 2015 में सुरक्षाबलों ने 52 आतंकियों को मार गिराया।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।