आंध्र प्रदेश के मंत्रियों ने मांगा अपने ही मुख्यमंत्री का इस्तीफा
पृथक तेलंगाना मसले पर आंध्र प्रदेश कांग्रेस में इस कदर हायतौबा मची है कि साथी मंत्रियों ने अपने ही मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी का इस्तीफा मांग लिया। तेलंगाना के विरोध में प्रस्ताव लाने के मुख्यमंत्री के कदम पर सोमवार को आंध्र विधानसभा में भारी शोरशराबा हुआ। दरअसल, सीएम ने प्रस्ताव में राज्य पुनर्गठन विधयेक, 2013 को अपरिपूर्ण करार देते हुए केंद्र को लौटाने की बात कही थी। हंगामा बढ़ने पर अध्यक्ष एन. मनोहर ने पहले आधे घंटे और दोबारा एक घंटे के लिए विधानसभा की कार्यवाही स्थगित की।
हैदराबाद। पृथक तेलंगाना मसले पर आंध्र प्रदेश कांग्रेस में इस कदर हायतौबा मची है कि साथी मंत्रियों ने अपने ही मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी का इस्तीफा मांग लिया। तेलंगाना के विरोध में प्रस्ताव लाने के मुख्यमंत्री के कदम पर सोमवार को आंध्र विधानसभा में भारी शोरशराबा हुआ। दरअसल, सीएम ने प्रस्ताव में राज्य पुनर्गठन विधयेक, 2013 को अपरिपूर्ण करार देते हुए केंद्र को लौटाने की बात कही थी। हंगामा बढ़ने पर अध्यक्ष एन. मनोहर ने पहले आधे घंटे और दोबारा एक घंटे के लिए विधानसभा की कार्यवाही स्थगित की। इसके बाद भी शोर-शराबा नहीं थमने पर उन्होंने कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।
हंगामे के दौरान तेलंगाना क्षेत्र के विधायक विधानसभा अध्यक्ष के आसन के समक्ष आकर मांग करने लगे कि नियम-77 के तहत प्रस्ताव लाने के मुख्यमंत्री के नोटिस को खारिज किया जाना चाहिए। उप-मुख्यमंत्री सी. दामोदर राजनरसिम्हा ने भी विरोध जताते हुए सीएम के इस्तीफे की मांग की। उसी समय, सीमांध्र के विधायक मांग करने लगे कि प्रस्ताव लाया जाना चाहिए और विधयेक खारिज करने के लिए मतदान कराया जाए। शनिवार को मुख्यमंत्री ने विधेयक की वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा था कि यह न सिर्फ संसदीय प्रक्रिया का, बल्कि भारत के संविधान का भी उल्लंघन है। विधेयक को अधूरा करार देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पर विधानसभा में चर्चा नहीं की जा सकती। इसके बाद उन्होंने विधेयक केंद्र को लौटाने के लिए प्रस्ताव लाने के नियम-77 के तहत अध्यक्ष को नोटिस दिया।
विद्रोही किरण रेड्डी ने फिर ठुकराया आलाकमान का फरमान
कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक ने स्पष्ट कर दिया है कि सीएम के इस कदम के खिलाफ विधानसभा में कोई व्हिप जारी नहीं किया जा रहा, क्योंकि सभी सदस्य अपने विचार रखने के लिए स्वतंत्र हैं। विधानसभा स्थगित होने के बाद किरण कुमार रेड्डी ने सवाल किया, 'अगर विधेयक का मसौदा और विधेयक एक ही हैं, तो केंद्र इसे लिखित में स्पष्ट करे।'
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