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    अब सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में रोजाना फहराएगा तिरंगा, JNU से शुरूआत

    By anand rajEdited By:
    Updated: Thu, 18 Feb 2016 10:18 PM (IST)

    जेएनयू विवाद से सबक लेते हुए केंद्र सरकार ने फैसला लिया है कि अब हर केंद्रीय विश्वविद्यालयों में तिरंगा फहराया जाएगा। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस बात का फैसला लिया गया

    नई दिल्ली। जेएनयू विवाद और इससे पहले रोहित वेमुला की आत्महत्या जैसी घटनाओं से चिंतित केंद्र सरकार ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में माहौल ठीक रखने पर अहम फैसले लिए हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के साथ हुई बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हुआ कि इन परिसरों में प्रमुखता और सम्मान के साथ रोजाना राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाएगा।

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    इसी तरह हैदराबाद विश्वविद्यालय में हुई रोहित वेमूला की आत्महत्या जैसी घटनाएं रोकी जा सकें, इसके लिए सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अलग से भेदभाव रोधी अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे।

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    देश भर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ बैठक में एचआरडी मंत्रालय ने इनमें दोहरी पाली में कक्षाएं आयोजित करने और अंग्रेजी के अलावा भारतीय भाषाओं में भी पढ़ाने की व्यवस्था करने का फैसला भी किया गया है। गुरुवार को एचआरडी मंत्री स्मृति ईरानी की अध्यक्षता में दिल्ली के निकट फरीदाबाद में दिन भर चली बैठक के बाद इस संबंध में प्रस्ताव पारित किए गए।

    जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में लगे भारत विरोधी नारों को ले कर गंभीरता से चर्चा हुई। बैठक के दौरान तय किया गया कि केंद्रीय विश्वविद्यालय यह सुनिश्चित करेंगे कि परिसर में अध्यापन के साथ ही राष्ट्रभक्ति का भाव भी जगाने का पूरा प्रयास किया जाए। साथ ही सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव भी पारित किया गया कि सभी विश्वविद्यालय परिसर में प्रमुखता और सम्मान के साथ प्रति दिन तिरंगा झंडा लहराया जाएगा।

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    इसी तरह पिछले दिनों रोहित वेमूला की आत्महत्या के बाद विश्वविद्यालयों में वंचित तबके के छात्रों की स्थिति को ले कर छिड़ी बहस का भी संज्ञान लिया गया। इस लिहाज से सभी विश्वविद्यालयों को कहा गया है कि वे छात्रों, कर्मचारियों और अध्यापकों सहित विश्वविद्यालय समुदाय की समस्याओं के निदान के लिए पारदर्शी और सुचारू व्यवस्था तैयार करें। इसके लिए सभी परिसरों में एक भेदभाव रोधी अधिकारी की नियुक्ति की जाए।

    छात्राओं और महिला अध्यापक, व कर्मचारियों के लिए अनुकूल माहौल उपलब्ध करवाने पर जोर देते हुए उनकी शिकायतों के निदान के लिए उचित व्यवस्था करने को भी कहा गया है। बैठक के दौरान उच्च शिक्षा में छात्रों की संख्या को बढ़ाने के लिए अहम फैसला लेते हुए दोहरी पाली में कक्षाएं आयोजित करने की सिफारिश भी की गई है। इससे उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को 30 फीसदी तक पहुंचाने के सरकार के लक्ष्य को हासिल करने में भी मदद मिलेगी।

    छात्रों को आने वाली भाषा संबंधी समस्याओं को देखते हुए कहा गया है कि अध्यापन के लिए अंग्रेजी के अलावा संबंधित राज्य में लागू भारतीय भाषा का भी उपयोग किया जाए। छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए दाखिला प्रक्रिया की आनलाइन व्यवस्था करने, छात्रों के लिए विशेषज्ञों की काउंसलिंग मुहैया करवाने, प्रशासनिक सुधार प्रक्रिया व ई-शासन पर जोर देने को कहा गया है।

    इसी तरह छात्रों को अध्यापकों के साथ ही वरिष्ठ छात्रों की भी मदद दिलाने के लिए सुचारू मार्गदर्शन व्यवस्था शुरू करने को कहा गया है। भविष्य की जरूरतों को देखते हुए कई नए पाठ्यक्रम सुझाए गए हैं। समाज विज्ञान और मानविकी के क्षेत्र में विदेशी भाषाओं के एप्लायड पाठ्यक्रम, महामारी विज्ञान और लोक स्वास्थ्य, नागरिकता और मूल्यों की शिक्षा जैसे पाठ्यक्रम शामिल हैं। जबकि विज्ञान, तकनीकी और कृषि के क्षेत्र में सात नए पाठ्यक्रमों को शुरू करने का फैसला किया गया।

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    कुलपति की क्लास

    केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रति कुलपति और कुल सचिव के लिए भारतीय प्रबंधन संस्थान (आइआइएम) में एक सप्ताह का विशेष पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा। इसमें उन्हें प्रबंधन और नेतृत्व के गुण सिखाए जाएंगे।