विमान की तरह ट्रेनों में भी परोसा जाएगा ट्रॉलियों के जरिये खाना
मोदी सरकार ट्रेनों में खाने की गुणवत्ता ही नहीं सुधारना चाहती, खाना परोसने का तरीका भी बदलना चाह रही है। यही वजह है कि पहली बार ट्रेनों के वातानुकूलित दर्जो में खाना हवाई जहाज की तरह ट्रॉलियों के मार्फत परोसा जाएगा।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। मोदी सरकार ट्रेनों में खाने की गुणवत्ता ही नहीं सुधारना चाहती, खाना परोसने का तरीका भी बदलना चाह रही है। यही वजह है कि पहली बार ट्रेनों के वातानुकूलित दर्जो में खाना हवाई जहाज की तरह ट्रॉलियों के मार्फत परोसा जाएगा।
अभी राजधानी व शताब्दी जैसी उन्नत ट्रेनों में भी वेटर हाथ में ट्रे लेकर यात्रियों को खाना देने आते हैं। यदि जरा सा चूक हो जाए तो ट्रे के रास्ते में गिरने का खतरा रहता है। जल्दी के लिए वेटरों को हाथ में एक साथ कई ट्रे संभालनी पड़ती हैं। यह न सिर्फ असुविधाजनक होता है, बल्कि देखने में भी अच्छा नहीं लगता। लिहाजा इस पुराने चलन को समाप्त करने का निर्णय किया गया है। अब राजधानी/शताब्दी/एक्सप्रेस ट्रेनों के फर्स्ट, सेकेंड एसी और एसी चेयरकार ही नहीं, बल्कि थर्ड एसी में भी खाना ट्रॉलियों के जरिये परोसा जाएगा। ट्रेनों में खाने को ताजा और गर्म रखने के लिए हॉट ब्वायलर और फ्रीजर की व्यवस्था की जाएगी। हॉट ब्वायलर में प्री-कुक्ड मील के पैकेट गर्म किए जाएंगे। सर्विस ट्रॉलियों के आसान आवागमन के लिए गलियारे और दो बोगियों को जोड़ने वाले वेस्टीब्यूल को अतिक्रमण मुक्त रखने को कहा गया है।
रेल मंत्रालय की ओर से सभी जोनल महाप्रबंधकों को जारी नए कैटरिंग दिशानिर्देशों में 'कैटरिंग में स्पष्ट अंतर दिखाई' देने के लिए ऐसा करने का निर्देश दिया गया है। वेटरों को साफ-सुथरी बढि़या यूनीफॉर्म में विनम्र रहना होगा। एसी क्लास के सभी यात्रियों को यात्रा की शुरुआत में 'वेलकम ड्रिंक' मिलेगा।
नई व्यवस्था में खाने को क्षेत्रवार चार वर्गो में बांटा गया है। इसके तहत देश के उत्तरी, पूर्वी, पश्चिमी तथा दक्षिणी क्षेत्रों में वहां की रुचि के मुताबिक व्यंजन परोसे जाएंगे। जो लोग रोटी पसंद नहीं करते उन्हें अतिरिक्त चावल दिया जाएगा। इसके अलावा ब्रांडेड रेडी-टु-ईट प्री पैक्ड मील की व्यवस्था भी लागू की जा रही है, जिसे फिलहाल तीन ट्रेनों में प्रयोग के तौर पर शुरू किया जा रहा है। ट्रेन के दो घंटे से अधिक लेट होने की स्थिति में उस वक्त के अनुसार चाय, काफी, लंच/डिनर, ब्रेकफास्ट या शाम की चाय मिलेगी। यही नहीं, ट्रेनों में टिन या बोतलों में चाय/काफी, टेट्रापैक में जूस, लस्सी, छाछ, निंबूज आदि की बिक्री पर पाबंदी लगा दी गई है।
पहली बार खाने को लेकर यात्रियों की राय जानने की व्यवस्था लागू की जा रही है। फीडबैक के आधार पर तय होगा कि कैटरिंग कांट्रैक्टर का ठेका रहेगा या रद होगा। चार बार जुर्माना और पांचवीं बार शिकायत पर ठेका रद करने की व्यवस्था की गई है। खाने की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। शिशुओं को मुफ्त खाने की व्यवस्था लागू रहेगी।
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