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सड़कों की धड़कन रोक बेंगलुरु से चेन्नई भेजा दिल

दिमागी तौर पर मृत घोषित एक बच्चे का दिल दूसरे बच्चे में लगाने के लिए दो शहरों की पुलिस ने एक बार फिर ग्रीन कॉरीडोर लगाया। इसके तहत बेंगलुरु और चेन्नई में अस्पताल और हवाई अड्डे के बीच एक तरफ से यातायात को रोक दिया गया, जिससे एक शहर से

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Fri, 19 Dec 2014 11:48 PM (IST)Updated: Sat, 20 Dec 2014 02:46 AM (IST)
सड़कों की धड़कन रोक बेंगलुरु से चेन्नई भेजा दिल

चेन्नई। दिमागी तौर पर मृत घोषित एक बच्चे का दिल दूसरे बच्चे में लगाने के लिए दो शहरों की पुलिस ने एक बार फिर ग्रीन कॉरीडोर लगाया। इसके तहत बेंगलुरु और चेन्नई में अस्पताल और हवाई अड्डे के बीच एक तरफ से यातायात को रोक दिया गया, जिससे एक शहर से भेजे गए हृदय का प्रत्यारोपण दूसरे शहर में संभव हो सका। इससे पहले तीन सितंबर को भी ग्रीन कॉरीडोर लगाकर एक महिला का दिन बेंगलुरु से चेन्नई लाया गया था।

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चेन्नई के फोर्टिस मलार अस्पताल में दो साल आठ महीने का एक बच्चा जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहा था। बेहद गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया यह बच्चा डाइलेटेड कार्डियोमायोपैथी नाम की बीमारी से ग्रस्त था और हृदय प्रत्यारोपण ही उसकी आखिरी आस थी। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें दिल बहुत कमजोर हो जाता है और इसका आकार बढ़ जाता है। स्थिति ऐसी हो जाती है कि यह स्वाभाविक रूप से शरीर के अन्य हिस्सों तक रक्त भेजने में असमर्थ हो जाता है। इस बच्चे के लिए उम्मीद की खबर बेंगलुरु से आई।

बेंगलुरु के मणिपाल अस्पताल में दो साल, 10 महीने के एक बच्चे को डॉक्टरों ने बृहस्पतिवार को ब्रेन डेड घोषित कर दिया। उसके दिमाग तक पर्याप्त ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो पा रही थी। माता-पिता से बात की गई, तो वे अपने बच्चे का दिल दान करने के लिए तैयार हो गए। इसके बाद दोनों अस्पतालों के चिकित्सकों ने हृदय प्रत्यारोपण की तैयारी शुरू कर दी। बेंगलुरु में अंगदाता बच्चे के शरीर से दिल निकालने के बाद इसे आर्गन ट्रांसप्लांट सोल्यूशन में रखा गया। यह सोल्यूशन छह घंटों तक दिल को धड़काए रखता है। इतने समय के भीतर इसका प्रत्यारोपण जरूरी था। सो, कम-से-कम समय में इसे चेन्नई लाने की चुनौती थी। दो पड़ोसी राज्यों की राजधानियों के बीच का फासला पूरे 290 किलोमीटर का है। इसलिए हवाई जहाज से हृदय लाने का फैसला हुआ। ट्रैफिक के चलते जाम की समस्या से जूझना न पड़े इसके लिए दोनों शहरों में पुलिस प्रशासन से मदद ली गई।

सबसे पहले बेंगलुरु में एचएएल एयरपोर्ट और अस्पताल के बीच ग्रीन कॉरीडोर लगाया गया। इस दौरान 2.2 किलोमीटर लंबी सड़क पर एक ओर से गाडिय़ों का आना-जाना रोक दिया गया और सभी लाल बत्तियां हरी कर दी गईं। दिल को एंबुलेंस से एचएएल हवाई अड्डे तक बिना किसी बाधा के पहुंचा दिया गया।

यहां से चार्टर्ड विमान एक मासूम का दिल लेकर दूसरे मासूम को बचाने चेन्नई के लिए उड़ चला। चेन्नई हवाई अड्डे पर एंबुलेंस पहले से तैयार थी। यहां एक बार फिर ग्रीन कॉरीडोर लगाया गया। 12 किलोमीटर की दूरी को एंबुलेंस ने 11 मिनट में तय करते हुए फोर्टिस मलार अस्पताल तक दिल पहुंचा दी।

बेंगलुरु में बच्चे के पिता ने कहा कि बे्रन डेड घोषित कर दिए जाने के बाद मैंने अपने बच्चे का अंग दान करने का फैसला किया। इससे मेरा बच्चा अब किसी दूसरे के शरीर में जिंदा रहेगा। इस बच्चे का लिवर बेंगलुरु में ही एक दूसरे बच्चे को दे दिया गया।

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