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दूसरे के जिस्म में धड़काया मुर्दा दिल

ऑस्ट्रेलिया के चिकित्सकों ने पहली बार मृत हृदय को दोबारा जिंदा कर जरूरतमंद मरीज के शरीर में प्रत्यारोपित कर दिया है। अब तक प्रत्यारोपण के लिए ऐसे मरीज की आवश्यकता होती थी, जिसका दिल तो धड़कता था लेकिन उसे दिमागी रूप से मृत (ब्रेन डेड) घोषित कर दिया जाता था। सिडनी के सेंट विन्सेंट अस्पताल में नेपाली मूल के ि

By Sachin kEdited By: Published: Sat, 25 Oct 2014 05:55 AM (IST)Updated: Sat, 25 Oct 2014 08:13 AM (IST)
दूसरे के जिस्म में धड़काया मुर्दा दिल

सिडनी। ऑस्ट्रेलिया के चिकित्सकों ने पहली बार मृत हृदय को दोबारा जिंदा कर जरूरतमंद मरीज के शरीर में प्रत्यारोपित कर दिया है। अब तक प्रत्यारोपण के लिए ऐसे मरीज की आवश्यकता होती थी, जिसका दिल तो धड़कता था लेकिन उसे दिमागी रूप से मृत (ब्रेन डेड) घोषित कर दिया जाता था।

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सिडनी के सेंट विन्सेंट अस्पताल में नेपाली मूल के चिकित्सक डॉ. कुमुद धिताल पिछले कुछ महीनों में ऐसे दिलों का प्रत्यारोपण कर चुके हैं, जिन्होंने धड़कना बंद कर दिया था। सेंट विन्सेंट अस्पताल की हार्ट लंग ट्रांसप्लांट यूनिट के निदेशक पीटर मैकडोनल्ड ने शुक्रवार को कहा कि वर्षो से अंग दानदाताओं के नहीं मिलने से कई मुश्किलें आती रही हैं।

अब तक ऐसे दो हृदयों को प्रत्यारोपित किया जा चुका है, जो धड़कना बंद कर चुके थे और दानदाता से मरणोपरांत लिए गए थे। अस्पताल में मिशेल ग्रिबिलर (57) और जैन डैमेन (40) को हृदय प्रत्यारोपित किया गया है। सर्जरी से पहले ग्रिबिलर 100 मीटर भी नहीं चल पाती थीं, लेकिन अब तीन किलोमीटर रोजाना चल लेती हैं।

क्या है पूरी प्रक्रिया:

प्रत्यारोपण के दौरान हृदय को मशीन में विशेष घोल में रखा जाता है। इसे एक्स वाइवो आर्गन केयर सिस्टम (ओसीएस) कहा जाता है। ओसीएस के कारण मृत हृदय दोबारा धड़कने लगता है। इससे पूर्व मृत हृदय को शरीर से बाहर निकालने के बाद एक विशेष ढांचे में रखा जाता है, जहां इसे रक्त और ऑक्सीजन की शिराओं से जोड़ दिया जाता है।

धीरे-धीरे हृदय में रक्त और ऑक्सीजन का संचार होता है और वह धड़कना शुरू कर देता है। हृदय का तापमान शरीर के तापमान पर आ जाने के बाद ऑक्सीजन की कमी के कारण हृदय को हुए नुकसान को ओसीएस से दूर किया जाता है और प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।

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