कानपुर सिख दंगों की एसआइटी से जांच पर विचार करेगा सुप्रीमकोर्ट
कानपुर में भी 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों में 127 लोगों की मौत हुई थी। पूरे उत्तर प्रदेश में इन दंगों की कुल 2800 एफआइआर दर्ज हुईं थी।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। कानपुर में 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीडि़तों की न्याय की मांग सुप्रीमकोर्ट पहुंची है। एसआइटी जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की हामी भरते हुए उसे सिख दंगों के मुख्य मामले के साथ लगाने का आदेश दिया है। याचिका में कहा गया है कि कानपुर में दंगों में 127 लोगों की मौत हुई थी ज्यादातर मामले सबूत के अभाव में बंद किये जा चुके हैं। इसमें मुआवजे की भी बात की गई है।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके और अखिल भारतीय दंगा पीडि़त राहत कमेटी के अध्यक्ष जत्थेदार कुलदीप सिंह भोगल ने सुप्रीमकोर्ट में यह याचिका दाखिल की है। शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई के दौरान वकील प्रसून कुमार ने न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की पीठ के समक्ष कहा कि कानपुर के सिख दंगों की जांच भी दिल्ली की तरह एसआइटी से कराई जाए। दिल्ली राजधानी है इसलिए उसका मामला सबकी निगाह में आ गया लेकिन कानपुर में भी 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों में 127 लोगों की मौत हुई थी। पूरे उत्तर प्रदेश में इन दंगों की कुल 2800 एफआइआर दर्ज हुईं लेकिन ज्यादातर मामले सबूतों के अभाव में बंद कर दिये गये। उन्होंने कहा कि पीड़ित 33 वर्ष से न्याय के लिए इधर उधर भटक रहे हैं।
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कोर्ट ने उनकी दलीलें सुनने के बाद कहा कि दिल्ली के मामले में एसआईटी जांच की फाइलें कोर्ट ने मंगाई हैं। उस मामले में 24 अप्रैल को सुनवाई होनी है तभी इस मामले पर भी सुनवाई की जाएगी। इस याचिका में केन्द्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को पक्षकार बनाया गया है। याचिका में कहा गया है कि ये मामला पुलिस और सरकारी तंत्र के अमानवीय क्रूर और लापरवाह रवैये से जुड़ा है। यहां तक कि जिस क्षेत्र में लोग मारे गए वहां के संबंधित पुलिस थाने कहते हैं कि यहां कोई मौत नहीं हुई, न ही दंगा हुआ या संपत्ति लूटी गई आरटीआइ में इन थानों से निल रिपोर्ट की बात कही गई है।
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गोविन्द नगर और नौबस्ता पुलिस थाने के क्षेत्र में जहां सबसे ज्यादा मौतें हुईं वहां के थानों से कोई रिपोर्ट नहीं उपलब्ध कराई गई। याचिका में विशेषतौर पर बजरिया थाने में दर्ज छह एफआइआर और नजीराबाद थाने मे दर्ज एक एफआइआर और दंगे के बारे में अन्य थानों में दर्ज बाकी मामलों की एसआइटी से जांच कराने की मांग की गई है। यह भी कहा गया है कि कोर्ट इन मामलों की दोबारा जांच करने का आदेश दे जिनमें पुलिस पहले ही अंतिम क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर चुकी है। इसके साथ ही अन्य थानों में दर्ज बाकी मामलों की भी दोबारा जांच कराई जाए।
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